Sourav Singh
Ranchi: ऊर्जा मंत्रालय के चीफ विजिलेंस ऑफिसर भूमि-मुआवजा घोटाले कि जांच कर कार्रवाई करेंगे. गौरतलब है कि हजारीबाग जिला अंतर्गत बड़कागांव, केरेडारी,कटकमदाग प्रखंड में एनटीपीसी के कोल परियोजनाओं हेतु जमीन अधिग्रहण के नाम पर सरकारी भूमि गैर मजरुआ खास, आम, जंगल और जंगल झाड़,नदी-नाला,प्रति कादिम आदि सरकारी जमीन को गलत तरीके से फर्जी कागजात बनाकर अवैध जमाबंदी का मामला सामने आया है. इस मामले में मंटू सोनी की शिकायत पर केंद्रीय सतर्कता आयोग ने भारत सरकार के पावर मिनिस्ट्री के चीफ विजिलेंस ऑफिसर को एक महीने के अंदर जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
अधिकारी-कर्मचारियों की मिलीभगत से करीब तीन हजार करोड़ का किया गया घोटाला
आरोप है कि एनटीपीसी और राज्य सरकार के सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों की मिलीभगत से लगभग तीन हजार करोड़ का मुआवजा घोटाला (एसआईटी जांच में अनुमानित) किया गया था. वर्ष 2017 में एसआईटी टीम की जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपने के बाद अब तक किसी भी दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
केंद्रीय सतर्कता आयोग को मंटू सोनी ने अपने शिकायत में कहा था कि देवाशीष गुप्ता कि अध्यक्षता में गठित एसआईटी टीम ने हजारों करोड़ (अनुमानित तीन हजार करोड़) भूमि-मुआवजा घोटाले का खुलासा किया था.
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सीबीआई जांच कराने की हुई थी अनुशंसा
राजस्व,निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव कमल किशोर सोन के ज्ञापांक 688/16 दिनांक 24/12/2016 के आलोक में सरकार द्वारा देवाशीष गुप्ता के नेतृत्त्व में विशेष जांच दल (S.I.T) की जांच रिपोर्ट में हुआ था. रिपोर्ट में अनुमानित तीन हजार करोड़ रुपये सरकारी राशि की अनियमितता की आशंका व्यक्त किया गया था, जिसमें 300 करोड़ बतौर मुआवजा बांट दिए जाने की रिपोर्ट करते हुए राज्य सरकार से सीबीआई जांच कराने की अनुशंसा की गई थी.
पांच पत्र लिखा,अब तक नहीं हुई कार्रवाई
भूमि-मुआवजा घोटाले की एसआईटी जांच रिपोर्ट मिलने के बाद झारखंड सरकार के तत्कालीन राजस्व,निबंधन और भूमि सुधार विभाग की तरफ से तत्कालीन एनटीपीसी के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक से एसआईटी जांच रिपोर्ट के साथ एनटीपीसी के पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना से संबंधित बड़कागांव,चट्टी बरियातू और कटकमदाग में भूमि सरकारी भूमि के मुआवजा वितरण अनियमितता के संबंध में एनटीपीसी के दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए पांच बार पत्र लिखा गया था, लेकिन अब तक एनटीपीसी के अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नही की गई.
NTPC ने माना सरकारी जमीन के बदले बांटे गए आठ करोड़ लेकिन अपनी जिम्मेवारी से मुकरे
एसआईटी जांच से सम्बंधित रिपोर्ट पर कार्रवाई के लिए जब मेरे द्वारा प्रधानमंत्री जनशिकायत पोर्टल, केंद्रीय कृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली ( सीपीजीआरएएमएस) में शिकायत संख्या MPOWR/E/2021/02414 दर्ज करायी तो एनटीपीसी के तरफ से सिर्फ पंकरी बरवाडीह परियोजना अंतर्गत 80 एकड़ सरकारी भूमि के बदले लगभग 8 करोड़ मुआवजा बांटने की बात स्वीकार करते हुए जिला-अंचल कर्मचारियों-अधिकारियों को जिम्मेवार बताते हुए यह कहा गया कि जिला-अंचल द्वारा पेपर क्लियरेंस के आधार पर मुआवजा बांटा गया. लेकिन यह नही बताया गया कि पेपर क्लियरेंस के बाद मुआवजा वितरण से पहले मुआवजा बांटने वाली कंपनी के अधिकारी जमीन का भौतिक सत्यापन करती है. यह बात जवाब में छुपा दिया गया कि पेपर क्लियरेंस के बाद जमीन का भौतिक सत्यापन एनटीपीसी के अधिकारियों ने किया या नही ? दोनों परिस्थिति में एनटीपीसी के अधिकारी पर जिम्मवारी तय होती है. उपरोक्त वर्णित तथ्यों से स्पष्ट होता है कि बड़े पैमाने पर संगठित तरीके से सैकड़ों करोड़ मुआवजा के तौर पर सरकारी राशि का घोटाला किया गया है.
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दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं
एसआईटी जांच के पांच साल बीत जाने के बाद अब तक किसी दोषी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. एसआईटी जांच रिपोर्ट में भूमि-मुआवजा घोटाले में संलिप्त एनटीपीसी के दोषी अधिकारी,राज्य सरकार के अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा पेपर क्लियरेंस किए जाने का बहाना बनाकर मुआवजा वितरण के पहले जमीन की भौतिक सत्यापन की जिम्मवारी और घोटाले में संलिप्तता से बचना चाहते हैं. भूमि-मुआवजा घोटाले की देवाशीष गुप्ता की अध्यक्षता वाली एसआईटी जांच रिपोर्ट का निरीक्षण करते हुए उच्च स्तरीय (सीबीआई) जांच करवाने कर दोषियों पर कार्रवाई करते हुए भारत सरकार की महारत्न कंपनी एनटीपीसी के परियोजना के लिए मुआवजा वितरण के नाम पर सैकड़ों करोड़ के सरकारी राशि को हुए नुकसान की रिकवरी की जाये.