Ranchi : अप्रैल का महीना झारखंड में बीजेपी के लिए काफी खास रहा. पूरे महीने में बीजेपी के पास सत्ता पक्ष के खिलाफ मुद्दे ही मुद्दे रहे. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम माइनिंग लीज मामला, सीएम की पत्नी के नाम जमीन आवंटन मामला और मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार एवं विधायक प्रतिनिधि के मामले को भी लेकर बीजेपी सरकार पर हमलावर रही. उपर से बिजली संकट का भी मुद्दा बीजेपी को मिल गया. वहीं राज्य के 50 नगर निकायों में भी बिजली-पानी की समस्या को लेकर बीजेपी ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. मंत्री हफीजुल हसन ने भी सांप्रदायिक बयान देकर बीजेपी को एक ओर मुद्दा दे दिया. राज्य में बीजेपी के तीन प्रमुख नेता प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व सीएम रघुवर दास पूरे महीने सरकार पर आक्रामक रहे. पढ़िये तीनों नेताओं ने अप्रैल महीने के 30 दिनों में कौन-कौन से बड़े बयान दिये.
दीपक प्रकाश के अप्रैल महीने में दिये गये बयान
28 अप्रैल– झारखंड में पीएम आयुष्मान योजना में आज जमकर लूट हो रही है. 67 दोषी अस्पतालों पर 8.06 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया, जबकि झारखंड के दर्जनों निजी अस्पतालों को धोखाधड़ी और अनैतिक गतिविधियों में शामिल होने की वजह से पैनल से हटाया भी जा चुका है.
28 अप्रैल– झारखंड से कोयला दूसरे राज्यों में भेजा जाता है, ऐसे में यहां बिजली की ऐसी स्थिति होना बेहद निराशाजनक है. सरकार ने चुनाव के वक़्त कहा था कि गांवों में मुफ्त बिजली दी जाएगी, लेकिन सत्ता में आते ही शहरों से भी बिजली गायब हो गयी है.
28 अप्रैल– झारखंड में “मोर” राज्य सरकार को नचा रहा है, सरकार के अधिकारियों को आगे-पीछे करवा रहा है. आखिर कब तक राज्य सरकार “मोर” के इशारों पर नाचतीं रहेगी.
27 अप्रैल– मंत्री हफीजुल अंसारी के बयान से हेमंत सरकार का असली चेहरा उजागर हुआ है. अगर मुख्यमंत्री में हिम्मत है तो इस मंत्री का इस्तीफा ले कर दिखाएं.
26 अप्रैल– झारखंड में अभूतपूर्व बिजली कटौती के लिए राज्य की ठेका पट्टा कंपनी वाली यह निकम्मी सरकार जिम्मेवार है. इसका केवल एक ही मकसद है झारखंड की खनिज संपदा को लूटना.
25 अप्रैल– चुनाव के वक्त मुख्यमंत्री ने झूठा वादा किया था कि सरकार बनी तो 100 यूनिट बिजली मुफ्त देंगे. मुफ्त बिजली तो छोड़िए अब राज्य की जनता को भीषण गर्मी मे भी बिजली देखने के लिए तरसना पड़ रहा है.
22 अप्रैल– निरसा के डुमरीजोड़ की घटना से साफ प्रतीत होता है कि दाल में कुछ काला है. सरकार मामले की CBI या हाइकोर्ट के सिटिंग जज से निष्पक्ष जांच कराए.
21 अप्रैल– गिरिडीह के गांडेय में एक मुखिया प्रत्याशी के नामांकन में देशविरोधी ताकतों ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाये हैं. सरकार के तुष्टिकरण की राजनीति के कारण राज्य में देशविरोधी ताकतों की जड़ें काफी मजबूत हो चुकी है.
20 अप्रैल– त्रिकुट रोपवे दुर्घटना की जांच के लिये गठित समिति केवल आईवाश है. इसकी जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड या सीटिंग जज से कराना चाहिए.
20 अप्रैल– झारखंड के मुख्यमंत्री ने जो पाप किया है इसके लिए उन्हें शीघ्र ही अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. हेमंत सोरेन खुद खान मंत्री होकर, खुद के हस्ताक्षर से ,खुद ही के नाम पर खनिज संपदा का व्यवसाय कर रहे हैं तो फिर राज्य की जनता कहां जाएगी ?
17 अप्रैल– राज्य सरकार के पदाधिकारी विभागीय कार्यों की समीक्षा होने से कतरा रहे है. उनमें भय और दहशत है इसलिये आदर्श आचार संहिता का बहाना ढूंढकर केंद्रीय मंत्रियों के झारखंड दौरे को टलवाने की कोशिश कर रहे हैं.
16 अप्रैल– पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पूरे प्रदेश में प्रारम्भ हो चुकी है और आचार संहिता लागू है. ऐसे में पंचायत चुनाव से प्रत्यक्ष जुड़े पदाधिकारियों का बड़े पैमाने पर पदस्थापन यह स्पष्ट करता है कि राज्य सरकार की मंशा साफ नहीं है.
15 अप्रैल– झारखंड में दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं के प्रति राज्य सरकार की असंवेदनशीलता एवं चुप्पी से तो यही साबित होता है कि इन्हें महिलाओं की सुरक्षा एवं सम्मान में भी राजनीति ही करनी है.
14 अप्रैल– हेमंत सरकार के कार्यकाल में झारखंड में देश विरोधी ताकतें सक्रिय हुई हैं. लोहरदगा हिंसा मामले में स्लीपर सेल की भूमिका की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए.
12 अप्रैल- देवघर रोपवे हादसे के 24 घंटे बीतने के बाद भी झारखंड के मुख्यमंत्री, मंत्री और उनके अफसर मुंह छुपाते रहे. ये तो शुक्र है कि मोदी सरकार के कारण सफल बचाव कार्य हो सका.
11 अप्रैल– रामनवमी शोभायात्रा पर राज्य में कई जगहों पर कायराना हमला हुआ है. इसकी जिम्मेदार यहां की राज्य सरकार है, जो लगातार तुष्टिकरण की राजनीति करने में लगी है.
4 अप्रैल– हेमंत सरकार का पुलिस-प्रशासन तंत्र सिर्फ वसूली करने में मस्त है. कोलकाता पुलिस झारखंड में रेड कर अपराधियों को गिरफ्तार कर रही है, लेकिन यहां की पुलिस को भनक तक नहीं लग रही.
3 अप्रैल– हेमंत सरकार ने राज्य की खनिज संपदा को लूटने और लुटवाने का रिकॉर्ड बना दिया. पूरे प्रदेश में खनिज संसाधनों की अवैध माइनिंग और तस्करी धड़ल्ले से जारी है. 31मार्च को लीज की समाप्ति के बाद भी खानों में खनिजों का उत्खनन होना यह पूरी तरह साबित करता है कि इसमें खनन विभाग,पुलिस प्रशासन और खनन माफियाओं का मजबूत गठबंधन है.
बाबूलाल मरांडी ने अप्रैल में क्या-क्या कहा
29 अप्रैल– झारखंड में क़ानून का राज चल रहा है या “गलती” करने कराने की फ़ैक्ट्री चल रही है. मुख्यमंत्री को खुद से झारखंड की जनता को बताना चाहिये कि सवा दो सालों में ज़मीन, खान-खदान, फैक्ट्री हड़पने व पैसे कमाने की भूख से और ऐसी कितनी ग़लतियां हुई हैं.
28 अप्रैल- झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भ्रष्टाचारी ही नहीं बहुरूपिया भी हैं. एक ही समय मुख्यमंत्री के रूप में कांके रोड मुख्यमंत्री कार्यालय से हस्ताक्षर करते हैं, साथ ही खुद पत्थर माइंस लेने के लिये हरमू हाउसिंग कॉलोनी के निजी पते पर पंहुच जाते है.
27 अप्रैल– मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी इस प्रचंड गर्मी में एक ओर जनता बेहाल है, वहीं आपके अधिकारी स्वार्थ सिद्धि में जुटे हैं. अब निद्रा से जागिये और थोड़ी गंभीरता दिखाइए, राज्यवासियों को राहत पहुंचाने की दिशा में ठोस निर्णय लीजिये.
27 अप्रैल– लोग बताते हैं कि दुमका विधायक बसंत सोरेन को जिस दिन 1 करोड़ नहीं मिले तो रात में नींद नहीं आती. पूरा का पूरा सरकारी महकमा विधायक जी के टारगेट को पूरा करने में जुटा है.
26 अप्रैल- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के 2019 में सत्ता पर क़ाबिज़ होने के बाद के उनके कारनामे का कच्चा चिट्ठा खुलने लगा है. वहीं झारखंड के हरेक सरकारी कार्यालयों में अफसर कहते हैं कि हम पैसे देकर आए हैं तो पैसे लेकर ही काम करेंगे.
25 अप्रैल– मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खुद के पास रखे गये खान विभाग से आपने अपने नाम पत्थर माइंस ले लिया और उद्योग वाले विभाग से आदिवासी उद्यमियों के हिस्से की 11 एकड़ ज़मीन पत्नी के नाम करवा लिया. उनका बस चले तो पूरा झारखंड सोरेन परिवार के नाम कराने में भी आप संकोच नहीं करेंगे.
23 अप्रैल– महिलाओं की सुरक्षा का दंभ रचने वाली हेमंत सोरेन की सरकार में बच्चियों की सुरक्षा और न्याय दोनों की अपेक्षा ही व्यर्थ है. इससे दुर्भाग्यजनक और क्या हो सकता है? भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे इस निर्लज्ज सरकार में अब तनिक मात्र भी संवेदनशीलता नहीं बची है.
21 अप्रैल- लोग बताते हैं कि कोयलांचल में कोयले की इतने बड़े पैमाने पर लूट कभी नहीं देखी. थानेदार से लेकर राजधानी रांची तक आला अधिकारियों के रेट फिक्स है. माल ऊपर से नीचे तक बंट रहा है.
19 अप्रैल– छत्तीसगढ़ की कंपनी को लाभ देने के लिए हेमंत सरकार ने साजिश के तहत शराब का टेंडर दिया है. उत्पाद विभाग के पदाधिकारी एक सोची समझी साजिश के तहत केवल चार विशेष इकाइयों’ को मनमाना मार्जिन देकर पूरे झारखंड में प्लेसमेंट एजेंसी का काम देना चाह रही है.
16 अप्रैल- जब राज्य के मुख्यमंत्री खुद खान लीज़ के माध्यम से अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं तो ऐसे में उनसे खुद के मंत्री पर कार्रवाई की कितनी अपेक्षा की जाए? गड़बड़ करने वाले मुख्यमंत्री का अनुसरण तो उनके मंत्री करेंगे ही.
1 अप्रैल- अवैध कोयला उत्खनन मामले में इसीएल के अधिकारियों के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति और कोयला चोरी मामले की सक्षम एजेंसी से जांच हो.
अप्रैल महीने में रघुवर दास के दिये गये बयान
27 अप्रैल- बिजली संकट के लिए सरकार की निष्क्रियता जिम्मेवार है. 2020 में इसी प्रकार का बिजली संकट उत्पन्न हुआ था, उस समय की घटना से सरकार ने कोई सीख नहीं ली. पहले से कोई योजना नहीं बनाई गई.
28 अप्रैल– मंत्री हफीजुल हसन भड़काऊ बयान देकर धार्मिक उन्माद पैदा कर आपसी भाईचारे को खराब करने का काम कर रहे हैं. मुख्यमंत्री उन्हें तत्काल बर्खास्त करें.
28 अप्रैल– खुशी रेनबो होम में दो आदिवासी बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटना को प्रभावशाली व्यक्ति की संस्था होने के कारण दबाने की कोशिश की जा रही है. मामले की सीबीआई से जांच हो.
26 अप्रैल– अबुआ राज के नाम पर हेमंत सोरेन अपने परिवार का हित साध रहे हैं। गरीब आदिवासियों को मिलने वाली भूमि भी अपने परिजनों को दिला रहे हैं. मिशनरी के दबाव में सरना भाई-बहनों का हक छीन कर धर्मांतरित आदिवासियों को लाभ दे रहे हैं.
25 अप्रैल– मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी के नाम से 11 एकड़ औद्योगिक क्षेत्र में भूमि का आवंटन किया गया है. यह आचरण भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धाराओं के अंतर्गत दंडनीय है. मुख्यमंत्री स्वयं उद्योग विभाग के मंत्री भी हैं, इसीलिए उन्हें इस विषय पर सफाई देनी चाहिए.
24 अप्रैल– झूठ बोलना और सच छिपाना हेमंत सरकार की आदत है. इस सरकार में गरीबों की जिंदगी का कोई मोल नहीं रह गया है. यह बहुत दुखद स्थिति है. जब राज्य का मुखिया ही अवैध खनन करनेवालों का संरक्षक बना हो, तो राज्य में अवैध कारोबार को बढ़ावा मिलेगा ही.
23 अप्रैल– लटकाना, अटकाना और भटकाना ही हेमंत सरकार की पहचान है। कमीशन के फेर में बच्चों की साइकिल फंस गयी है. “मोटे माल” की मांग के कारण साइकिल कंपनियां टेंडर डालने को तैयार नहीं हैं.
21 अप्रैल– राज्य में जेहादी मानसिकता और पाकिस्तानी समर्थकों का मनोबल खूब बढ़ा हुआ है. वोट बैंक और तुष्टिकरण के लिए इतना भी समझौता मत करिए हेमंत जी की झारखंड भी कश्मीर बन जाए.
14 अप्रैल– झारखंड की हेमंत सरकार ने पिछड़े वर्ग की पीठ में छुरा घोंपने का काम किया है. पर्याप्त समय रहने के बावजूद सरकार ने जानबूझ कर पिछड़ों का सर्वे नहीं कराया, जिसका नतीजा हुआ कि इस बार के पंचायत चुनावों में पिछड़ों के लिए आरक्षण नहीं हो पाया है.
12 अप्रैल- लोहरदगा में रामनवमी शोभायात्रा पर पथराव मामले में निर्दोष लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, जबकि दूसरे पक्ष के लोगों के खिलाफ दिखावे की कार्रवाई की जा रही है. अधिकारी तुष्टिकरण के लिए बहुसंख्यक समाज को प्रताड़ित करना बंद करें.
8 अप्रैल– मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पोषण सखी की सेवा को जारी रखें. पोषण सखी की बहाली के बाद से ही झारखंड में कुपोषण के आंकड़ों में कमी आई है. इसलिए उन्हें न हटाया जाए.