Pravin Kumar
Ranchi: रघुवर सरकार में पूजा सिंघल को कैसे क्लीन चिट मिली गई. किन परिस्थितियों में अपर मुख्य सचिव रैंक के अफसर एपी सिंह ने जांच कर उन्हें क्लीन चिट दे दिया. अब चर्चा इस बात की भी हो रही है कि पूजा सिंघल को चतरा और खूंटी मामले में क्लीन चिट रघुवर दास के कार्यकाल में कैसे मिल गयी. चतरा उपायुक्त रहते पूजा सिंघल पर गंभीर आर्थिक अनियमितता के आरोप लगे,लेकन भाजपा की रघुवर सरकार ने पूजा सिंघल को दोष मुक्त कर दिया था. आइएएस पूजा सिंघल के कई ठिकानों पर शुक्रवार से ईडी की टीम छापेमारी कर रही है. इस दौरान ईडी ने पूजा सिंघल के घर और अन्य ठिकानों से 19.31 करोड़ रुपये के साथ-साथ 300 करोड़ की संपत्ति के दस्तवेज बरामद किये हैं. इस पूरे मामले में लगातार न्यूज ने पूर्व सीएम रघुवर दास को फोन और मैसेज कर प्रतिक्रिया लेनी चाही, लेकिन उन्होंने कॉल कट कर दिया और खबर लिखे जाने तक मैसेज का जवाब भी नहीं मिला है. जब उनकी प्रतिक्रिया आएगी तब लगातार न्यूज प्रकाशित करेगा. झारखंड की लेटेस्ट खबरों के लिए यहां क्लिक करें.
क्या था कार्मिक विभाग का आदेश
इस मामले में कार्मिक विभाग ने अधिसूचना संख्या 657 द्वारा पूजा सिंघल के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के लिए अमरेंद्र प्रताप सिंह को संचालन पदाधिकारी नियुक्त किया गया था. इसके बाद एपी सिंह द्वारा विभागीय कार्रवाई के संचालन उपरांत जांच प्रतिवेदन समर्पित किया गया. जिसमें सिंघल के विरुद्ध गठित सभी आरोपों को प्रमाणित नहीं माना गया. संचालन पदाधिकारी से प्राप्त जांच प्रतिवेदन की समीक्षा राज्य सरकार द्वारा पूजा सिंघल के विरुद्ध गठित आरोपों से मुक्त करते हुए उनके विरुद्ध चलाई गई विभागीय कार्यवाही को समाप्त करने का निर्णय लिया गया. कार्मिक विभाग ने इसका आदेश 27 फरवरी 2017 को जारी किया था.
कार्मिक विभाग के ज्ञापन संख्या 3031 तिथि 26 मार्च 2014 में चतरा की तत्कालीन डीसी पूजा सिंघल के पदस्थापन के दौरान बरती गई अनियमितता के लिए आर्टिकल्स ऑफ चार्ज इंप्यूटेशन ऑफ मिसकंडक्ट एंड मिसबिहेवियर के तहत कई आरोप लगे.
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विधानसभा की कमिटी की क्या थी रिपोर्ट
विधानसभा समिति ने चतरा जिला में मनरेगा योजना में किये गए आनियमितता के मामले में स्थल निरीक्षण किया गया था. जिसमें तत्कालीन विधायक अरूप चटर्जी, जनार्दन पासवान और विनोद सिंह शमिल थे. जिले में समीक्षा के दौरान पाया गया मनरेगा की योजना में दो NGO को तत्कालीन उपायुक्त पूजा सिंघल द्वारा करोड़ों रुपये अग्रिम भुगतान किए गए. जबकि रिपोर्ट में कार्य की तस्वीर नहीं दिख रही थी. कुछ आधी अधूरी थी. विधायक ने शंका जताई. फिर कुछ गांव में जाकर स्थल निरीक्षण किया. कई योजना धरातल में थी, कुछ कुआं आधे अधूरे मिले भी, तो उनका भुगतान मजदूरों को नही किया गया था.
एक किसान ने विधानसभा कमिटी को अपना सिर दिखाया और कहा था कि मजदूरी भुगतान नहीं होने के कारण मजदूरों ने उनका सिर फोड़ दिया. जबकि उनकी योजना के नाम पर निकासी हो चुकी थी. इसके बाद समिति नेएक संक्षिप्त रिपोर्ट विधानसभा में दी. रिपोर्ट ग्रामीण विकास विभाग को सौंपी गई और उच्चस्तरीय जांच की मांग की गई.
पूजा सिंघल पर क्या थी विधानसभा समिति की रिपोर्ट
- चतरा जिले में मनरेगा योजना के क्रियान्वयन के लिए बिना प्रक्रिया का पालन किए दो NGO को तत्कालीन उपायुक्त पूजा सिंघल द्वारा करोड़ों रुपये अग्रिम भुगतान किए गए हैं.
- दो NGO का चयन किया गया. जिसमें उपायुक्त द्वारा स्वीकृति दी गई.
- चतरा जिले में मनरेगा योजना के सक्षम तकनीकी स्वीकृति प्राप्त किए बिना योजना की स्वीकृति उपायुक्त ने दे दी.
- चतरा जिले में योजना की स्वीकृति के साथ ही एनजीओ को अग्रिम स्वरूप वेलफेयर पॉइंट को 15 फरवरी 2008 को चार करोड़ रुपए और निकेतन को 14 मई 2008 को दो करोड़ की स्वीकृति उपायुक्त ने दे दी.
- योजना के निरीक्षण एवं अनुश्रवण के लिए उचित व्यवस्था नहीं थी. जिस कारण संस्थाओं द्वारा मनरेगा के मार्गदर्शिका का उल्लंघन करते हुए भुगतान किया गया.
- मनरेगा कानून को ताक पर रख योजना की मापी नहीं करायी गयी.
- उपायुक्त द्वारा जिला में योजनाओं का कार्य नहीं कराया गया, तथा योजनाओं को आवश्यक मंजूरी प्रदान करने के पूर्व अपेक्षित प्रशासनिक अनापत्ति दर्ज नहीं की गई.
- उपायुक्त द्वारा मनरेगा कानून की धारा 14 की उप धारा दो और धारा 23 का उल्लंघन किया गया.
- जिला कार्यक्रम समन्वयक ने योजना के क्रियन्वयान में अनियमितता की थी. शिकायत जिसकी जांच नहीं करायी गयी और ना ही सरकारी योजना से राशि निकलने पर रोक लगाया गया.