Ranchi : झारखंड में व्याप्त बालू संकट, क्रशर बंदी, खाद्यान संकट और महंगाई के कारण निर्माण मजदूरों की भुखमरी के खिलाफ मंगलवार को एक्टू से संबद्ध झारखंड निर्माण मजदूर यूनियन ने विधानसभा के समक्ष धरना- प्रदर्शन किया. मजदूरों की भुखमरी और नेताओं पर नोट की बरसात नहीं चलेगी, काम दो या भत्ता दो, काम नहीं मिलने तक निर्माण मजदूरों को 7500 रुपये प्रतिमाह भत्ता देना होगा जैसे नारों के साथ निर्माण मजदूरों ने शालीमार बाजार चौक से विधानसभा आंदोलनकारी मैदान तक रैली निकाली.
रोजगार के बिना आजादी अधूरी- शुभेंदु सेन
धरना कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एक्टू के प्रदेश महासचिव शुभेंदु सेन ने कहा कि भूख और मालिकों की रंगदारी से मुक्ति के बाद ही मजदूरों के लिए आजादी अमृत काल साबित होगा. रोजगार के बिना आजादी अधूरी साबित होगी. श्रम कानूनों में संशोधन मजदूरों को आर्थिक रूप से गुलाम बनाने की साजिश है. जो मजदूर विधानसभा और उच्च न्यायालय को बनाने वाले हैं, राज्य की राजनीति से गायब हैं. अनुपूरक हो या एनुअल बजट, इनके हिस्से कुछ भी नहीं मिलता. मजबूरन निर्माण मजदूर सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने के लिए बाध्य हैं.
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झारखंड को लूटखंड नहीं बनने देंगे – भुवनेश्वर केवट
निर्माण मजदूर यूनियन के प्रदेश महासचिव भुवनेश्वर केवट ने कहा कि काम के आभाव में मजदूरों की भुखमरी और नेताओं पर नोट की बरसात नहीं चलेगी. हम झारखंड को लूटखंड नहीं बनने देंगे. विधानसभा के एसी कमरे में बैठने वाले विधायकों को विधानसभा का निर्माण करने वाले मजूदरों की भी चिंता करनी होगी. केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों के कारण राज्य के मजदूर भुखमरी की चपेट में हैं. काम नहीं मिलने तक ऑफ सीजन कंपनसेशन के तहत सरकार प्रतिमाह 7500 रुपये भत्ता की गारंटी करे. कार्यक्रम को मजदूर यूनियन के नेता भीम साहू, नसीम खान, सुनील उरांव, मेवा उरांव, राजू महतो, जगन्नाथ उरांव, अशोक चौधरी, राजेश लिंडा, फुलमनी उरांव, एनामुल हक, अब्दुल रज्जाक, महबूब अंसारी, मंटू पासवान समेत कई नेताओं ने संबोधित किया.
यूनियन की सरकार से मांग
- निर्माण मजदूरों को काम नहीं मिलने तक 7500 रुपये प्रति माह भत्ता का भुगतान करें.
- श्रम कोड को रद्द कर सभी श्रम कानूनों को सख्ती से लागू करें.
- बालू, क्रशर, पत्थर खदान, ढिबरा मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में मौजूद सारी अड़चन दूर कर रोजगार की गारंटी लागू हो.
- निर्माण मजदूरों के लिए राजधानी समेत सभी जिला मुख्यालय से सटे प्रमुख चौराहों से निःशुल्क मजदूर बस सेवा की सुविधा शुरू करायी जाये.
- शहरी मजदूरों के लिए मनरेगा की तर्ज पर रोजगार गारंटी कानून बनाकर निर्माण क्षेत्र में कार्यरत राज्य के मजदूरों को अविलंब 200 दिन काम की गारंटी मिले.
- मजदूरों के लिए बाजारों में स्थायी पक्का शेड, पेयजल, शौचालय आदि की व्यवस्था की जाये.
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