Ranchi: चाईबासा जेल ब्रेक में शामिल नक्सली रणवीर पात्रों को झारखंड पुलिस ने दो साल के दौरान दो बार सरेंडर कराया है. मूल रूप से ओडिशा के सुंदरगढ़ जिला के सलाईपाली थाना क्षेत्र का रहने वाला है.जेल ब्रेक कांड के आरोपी नक्सली रणवीर पात्रों ने गुरुवार को ओडिशा में झारखंड सीआईडी के समक्ष सरेंडर कर दिया.
यह पहला मौका नहीं है जब रणवीर पात्रों ने झारखंड पुलिस के समक्ष सरेंडर किया है, इससे पहले बीते तीन मार्च 2019 को रणवीर पात्रों उर्फ रामवीर पात्रों उर्फ गणेश्वर ने दस्ते की प्रताड़ना से तंग आकर पत्नी शांति कंडुलना के साथ चाईबासा के तत्कालीन एसपी चंदन कुमार झा व सीआरपीएफ 174 बटालियन के कमांडेंट डॉ प्रेमचंद के समक्ष सरेंडर कर दिया था.रणवीर और सिंहभूम के छोटानागरा की कुदलीबाद निवासी उसकी पत्नी शांति कंडुलना उर्फ अलबिना कंडुलना पर एक-एक लाख के इनाम थे.दोनों अनमोल दस्ते के अहम सदस्य थे.
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दस्ते के दबाव में रणवीर ने करायी थी नसबंदी
नक्सली रणवीर पात्रो और शांति कंडुलना संगठन में काम के दौरान मिले थे और शादी करना चाह रहे थे. लेकिन, नक्सली दस्ते के वरीय नक्सली इसका विरोध कर रहे थे. उनकी बात नहीं मानने पर दस्ती ने रणवीर को नसबंदी कराने की शर्त पर शादी की मंजूरी दी थी. जिसके बाद से नक्सली दस्ते में अमानवीय व्यवहार को लेकर दोनों घुटन भरी जिंदगी जी रहे थे. पति-पत्नी होकर भी अलग थे. सरेंडर करने को लेकर रणवीर पात्रो और शांति कंडुलना के परिजन पुलिस के साथ संपर्क बनाए हुए थे.दोनों ने झारखंड सरकार द्वारा प्रदत प्रत्यर्पण एवं आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर तीन मार्च 2019 को सरेंडर कर दिया था.
सीआइडी ने दुबारा कराया सरेंडर
9 दिसंबर 2014 को हुए चाईबासा जेल ब्रेक कांड की जांच अपराध अनुसंधान विभाग यानी सीआईडी कर रही है. अनुसंधान के दौरान सीआईडी रणवीर पात्रों की खोज बिन में जुटी हुई थी.
सीआईडी जांच के दौरान में पता चला कि रणवीर ओडिशा में है. सीआइडी ने उससे संपर्क साधा तो उसने ओडिशा में ही सरेंडर की इच्छा जताई. झारखंड सीआइडी की टीम ओडिशा गई, जहां उसने सीआइडी के सामने सरेंडर कर दिया. सरेंडर करने के बाद नक्सली रणवीर पात्रों चाईबासा कोर्ट में पेश किया गया. जहां उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
चाईबासा जेल ब्रेक का क्या है मामला
9 दिसंबर 2014 शाम लगभग 4:15 बजे 55 कैदियों को पेशी के बाद कोर्ट से चाईबासा मंडल कारा लाया गया था. जेल के प्रवेश द्वार के अंदर कैंपस में कैदी वाहन खड़ा किया गया था. 22 कैदियों को पहले उतारा गया. सभी दूसरे गेट में प्रवेश कर गये थे. उन्हें अंतिम व तीसरा गेट पार कर जेल के अंदर जाना था. कुछ कैदी तीसरे गेट में घुसे भी नहीं थे कि कैदी वाहन के अंदर बैठे शेष कैदियों ने पुलिसकर्मियों को पकड़ लिया. उनके हथियार छीनने लगे. हाथापाई होने लगी. इसी बीच नीचे खड़े कैदी वहां मौजूद सुरक्षाकर्मी की आंख में मिर्ची पाउडर झोंक कर जेल से बाहर भागने लगे.
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कैदी वाहन के सुरक्षाकर्मी ने हवाई फायरिंग की. यह सुन कर छत से जेल की निगरानी कर रहे संतरी ने भी दो गोलियां दागीं, जो टीपा दास व रामविलास तांती को लगी. फिर मुख्य गेट को बंद कर दिया गया. तब तक 15 कैदी फरार हो चुके थे. मिर्च पाउडर झोंक कर कैदी वैन से भाग रहे 20 बंदियों पर पुलिस ने गोली चलायी. फायरिंग में पांच कैदियों को गोली लगी. दो की मौत हो गयी. तीन घायल हो गये. चाईबासा जेल ब्रेक में 15 कैदी भागने में सफल रहे. इनमें आठ नक्सली और सात अपराधी थे.
ये नक्सली नक्सली और अपराधी हुए थे फरार
विमल गुड़िया जॉनसन गंझू, सालुका कायम, चोकरो चाकी, सुभाष उर्फ छोटू गंझू, सूर्यम उर्फ सियाराम, चंद्र हांसदा उर्फ अमित हांसदा, संजय बोदला उर्फ बिरसा बोदरा, विशू बोदरा, सहदेव महतो, गुरा नाग उर्फ डीके नाग, बिंज हांसदा, गुना उर्फ रूईदास हांसदा, माटू बाडिंग व रामवीर पात्रो शामिल थे. फरार जॉनसन गंझू उर्फ चंदर गंझू चाईबासा जेल ब्रेक में फरार होने के तीन महीने बाद ही मनोहरपुर के रोंगो गांव में ग्रामीणों के हाथों मारा गया था.
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