Sindri : पढ़ो और लड़ो, का नारा देने वाले शैक्षणिक जन जागरण के जननायक स्व बिनोद बिहारी महतो की 30 वीं पुण्यतिथि पर बलियापुर के बीबीएम कॉलेज परिसर स्थित बिनोद धाम समाधि स्थल पहुंचकर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं, कार्यकर्ताओं एवं विभिन्न संगठनों सहित हजारों की संख्या में लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की .
बिनोद बिहारी का सपना है अधूरा : आनंद महतो
पूर्व विधायक आनंद महतो ने कहा कि बिनोद बिहारी महतो की पुण्यतिथि को संकल्प दिवस के रूप में मनाते हैं. पूरे झारखंड में स्कूल, कॉलेज सहित शिक्षा संस्थानों की स्थापना में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. उनका सपना था कि शिक्षित और शोषण मुक्त अलग राज्य हो और उनके आंदोलन का ही परिणाम था कि नए नक्शे के रूप में हमें अलग झारखंड राज्य मिला. परंतु अभी उनका सपना अधूरा है. अलग राज्य के रूप में हमें झारखंड तो मिल गया, लेकिन वह शोषण मुक्त नहीं है.
विनोद बाबू व्यक्ति नहीं विचार थे : राज सिन्हा
विधायक राज सिन्हा ने कहा कि बिनोद बाबू व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचार थे, आंदोलन थे, जिन्होंने इस राज्य के युवाओं को शिक्षा ग्रहण कर अपने हक के लिए संघर्ष करने को प्रेरित किया. वर्तमान समय में झारखंड राज्य की जो स्थिति है उसे देखते हुए आज के युवाओं को उनकी विचारधारा पर चलने की आवश्यकता है.
दादाजी का सपना करेंगे पूरा : राहुल कुमार
बिनोद बिहारी महतो के पोते व पूर्व सांसद स्व राज किशोर महतो के पुत्र राहुल कुमार ने कहा कि उनके सपनों को पूरा करने के लिए हम सभी को एकजुट होकर राजनीति, संगठन एवं जात पात की भावना से ऊपर उनके दिखाए गए रास्ते पर चलने की आवश्यकता है.
विदित हो कि बलियापुर के बड़ादहा गांव में 23 सितंबर 1932 को जन्म लेने वाले प्रेरणा स्रोत शिक्षाविद झारखंड पुरोधा बिनोद बिहारी महतो ने हर दल, हर संगठन हर जाति के लोगों के लिए एक विचारधारा पर चलते हुए पूरे झारखंड में शिक्षा का अलख जगाया था.
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