Ranchi: झामुमो-कांग्रेस गठबंधन वाली हेमंत सोरेन की सरकार ने जिस IAS अधिकारी छवि रंजन (Chhavi Ranjan) को पिछले दो सालों से रांची का डीसी (DC) बना रखा है, वह आपराधिक मामले में चार्जशीटेड हैं. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने इस अधिकारी के खिलाफ 26 अक्टूबर 2016 को अदालत में चार्जशीट दाखिल किया था. इन पर आरोप है कि कोडरमा डीसी (Koderma DC) के पद पर रहते हुए इस अधिकारी ने सरकारी पेड़ की चोरी की थी. गौर करने वाली बात हैः रांची, राज्य की राजधानी है और यहां का डीसी बनने का सपना हर आइएएस का होता है. इस रेस में छवि रंजन सबसे आगे हैं.
इस बात का खुलासा सरकार के द्वारा भेजी गयी एक रिपोर्ट से हुआ है. सरकार ने रिपोर्ट राजभवन को भेजी है. राज्यपाल ने झारखंड सरकार से पूछा था कि राज्य में कितने अफसरों के खिलाफ कौन-कौन से मामले कब से चल रहे हैं. इसके जवाब में सरकार ने एसीबी द्वारा तैयार रिपोर्ट राजभवन को भेजी है. रिपोर्ट में छवि रंजन के अलावा अन्य चार IAS अधिकारियों के भी नाम हैं.
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रिपोर्ट में पांच अफसरों के नाम
आइएएस अधिकारी के श्रीनिवासन (एटीआइ के निदेशक) और सुनील कुमार (पथ निर्माण विभाग) के नाम का जिक्र करते हुए कहा गया है कि भ्रष्टाचार को लेकर 10 कांड अंकित हैं. जिसमें दोनों अधिकारी नामजद अभियुक्त नहीं हैं. ना ही जांच में दोनों के खिलाफ कोई साक्ष्य मिला है. अपर मुख्य सचिव केके खंडेलवाल के बारे में कहा गया है कि बिहार के निगरानी ब्यूरो में इनके खिलाफ कांड संख्या-01/1999 दर्ज है. वहां के एसपी को 13 बार पत्र लिखने के बाद भी वर्तमान स्थिति की जानकारी नहीं मिली है. आइटी निदेशक मनोज कुमार के बारे में कहा गया है कि इनके खिलाफ वर्ष 2015 में पीई संख्या- 17/15 दर्ज किया गया. वर्ष 2017 में एसीबी ने इनके खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई के लिये सरकार को लिखा है.
टिप्पणी
राजभवन पहुंची सरकार की इस रिपोर्ट से यह साफ होता है कि झारखंड में नये सरकार के गठन के बाद मई 2020 में छवि रंजन को रांची जिला का डीसी बनाया गया. रांची का डीसी बनना किसी भी आइएएस के लिये प्रतिष्ठा का विषय होता है. यह सही है कि छवि रंजन के खिलाफ लगे आरोप अभी तक अदालत में साबित नहीं हुए हैं. लेकिन चार्जशीटेड अधिकारी, जिसके खिलाफ विभागीय कार्यवाई होनी चाहिए थी, उसे राजधानी का डीसी बना दिया गया. जिसके बाद से इन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हैं. जमीन के कई मामलों में कथित रूप से गलत फैसले दिये. मीडिया में सब उजागर हुआ. जांच हुई. आरोंपों की पुष्टि भी हुई. सरकार की बदनामी होती रही. लेकिन छवि रंजन की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा है. इनके सीनियर अफसरों ने कई मामलों में इनके खिलाफ रिपोर्ट की. रिपोर्ट सरकार के पास है. कार्रवाई नहीं होती. हाल ही में इन्होंने हाईकोर्ट के अधिवक्ता को भी अपने घर बुलाकर धमकाने का काम किया है. जिसकी शिकायत हाईकोर्ट में की गई है.
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