Pravin kumar
Ranchi : केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित लैंड टाइटलिंग एक्ट को लेकर काफी आशंकाएं जतायी जा रही हैं. इसमें कारपोरेट और बिल्डरों के हाथों जमीन चले जाने से लेकर अनुसूचित क्षेत्रों में लागू कानूनों के भविष्य को लेकर चिंता शामिल है. लगातार ने इस संबंध में 9 फरवरी को अपनी रिपोर्ट में छोटानागपुर और संथाल परगना में लागू काश्तकारी अधिनियम CNT और SPT के भविष्य को लेकर आशंका जतायी थी.
लैंड टाइटलिंग एक्ट के मसौदे पर झारखंड सरकार ने फरवरी के आखिरी सप्ताह में भेजा है. इसमें सरकार ने लगातार न्यूज की आशंकाओं की पुष्टि की है. सरकार ने कहा है कि प्रस्तावित समान लैंड टाइटलिंग कानून यहां के जनजातियों के परंपरागत अधिकारों और CNT और SPT एक्ट में दिये गये कानूनी अधिकारों को संरक्षित किये बिना शिड्यूल एरिया में लागू नहीं किया जा सकता.
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झारखंड सरकार ने अपने सुझाव में
भी स्थानिय भूमि संबधी कानून का जिक्र किया है. जिसमें कहा गया है कि प्रस्तावित एक्ट में 5वीं अनुसूची के इलाके में रहनेवाले लोगों के भूमि संबधी अधिकार की अनदेखी की गयी है. अगर इस प्रस्ताव को कानून के रूप में लाया जाता है तो CNT, SPT ACT आदि के तहत जनजातीय लोगों के अधिकारों और परंपराओं को बचाने के लिए प्रस्तावित एक्ट में कई संशोधन की जरूरत पड़ेगी.
सुझाव में क्या लिखा है झारखंड सरकार ने
केंद्र की लैंड टाइटलिंग प्रस्ताव पर राज्य सरकार ने अपने सुझाव भेजे हैं, इनमें कहा है कि प्रस्तावित एक्ट में संतुलन बनाये रखना जरुरी है. झारखंड में छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट, 1908 और संथाल परगना टेनेंसी एक्ट, 1949 के तहत कई जमीनों के टाइटल विशेष रूप से दिये हुए हैं. प्रस्तावित एक्ट में कई प्रवधानों को भी नजरअंदाज किया गया है.
इसके साथ ही CNT एक्ट के तहत S46, 71A का विशेष प्रावधान है. जो राज्य में निवास करनेवाली जनजातियों की परंपरागत सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक व्यवस्था को देखते हुए बनाया गया है. संविधान के 5वें शेड्यूल के तहत राज्य में अलग प्रवधान किये गये हैं, जबकि टाइटलिंग एक्ट में इनका जिक्र नहीं है.
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झारखंड सरकार ने किन बिंदुओ को किया गया अपने सुझाव में जिक्र
लैंड टाइटलिंग एक्ट क्रम 6 से 10 तक रिकॉर्ड की तैयार करने की बात कहता है. जबकि CNT एक्ट में क्रम 10 से 100ए तक रिकॉर्ड ऑफ राइट और सेटलमेंट ऑफ रिकॉर्ड की बात करता है. राज्य सरकार ने केंद्र को भेजे सुझाव में सीएनटी एक्ट के प्रोविजन को झारखंड के लिए बेहतर बताया .
लैंड टाइटलिंग एक्ट क्रम संख्या 12 में भूमि संबधी डाटा इंट्री के आधार पर निष्कर्ष का प्रवधान किया गया है जबकि CNT एक्ट में S.83 and 84 सही अनुमान को भी महत्व दिया गया है.
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