– सरकार करे सहयोग तो बढ़ेंगी महिला बॉडी बिल्डर
– वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप की कर रहीं तैयारी
- Shubham Kishor
Ranchi : झारखंड में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. लेकिन संसाधनों के अभाव में उन्हें एक मंच नहीं मिल पाता. राज्य सरकार सहयोग करे तो बॉडी बिल्डिंग के क्षेत्र में भी यहां की बेटियां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन कर सकती हैं. उक्त बातें प्रदेश की पहली नेशनल महिला बॉडी बिल्डिंग चैंपियन माधवी विलोचन ने विशेष साक्षात्कार के दौरान कहीं. कहा कि महिला बॉडी बिल्डिंग को आगे बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से ज्यादा कुछ नहीं किया जा रहा है. निजी संगठन ही महिलाओं को इस क्षेत्र में आगे लाने के लिए प्रतियोगिताएं आयोजित करती हैं. उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि खिलाड़ियों को आर्थिक रूप से सहयोग करे. खिलाड़ी मेहनत करने में पीछे नहीं रहते, लेकिन आर्थिक परेशानियां उन्हें आगे नहीं बढ़ने देतीं. उन्होंने कहा कि बॉडी बिल्डिंग एक ऐसा फील्ड है, जहां आप जितना बड़ा कॉम्पिटिशन खेलेंगे, उतना ही अधिक खर्च आता है. अगर आप किसी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में देश को रिप्रेजेंट कर रहे हैं, तो आपको भी अमेरिका और यूरोप के स्तर की तैयारी, ट्रेनिंग, डाइट सब चाहिए. सरकारी मदद के बिना यह संभव नहीं है. माधवी फिलहाल विश्व चैंपियन बनने की तैयारी कर रही हैं.
मां के कहने पर गई जिम
स्कूली शिक्षा के समय माधवी का वेट थोड़ा बढ़ गया था. उनकी मां ने उन्हें जिम जाने की सलाह दी, लकिन माधवी काे जिम जाने में कोई इंटरेस्ट नहीं था. उनके बड़े भाई माधव बिलोचन और उनके मित्र अमरदीप जो बॉडी बिल्डर थे, उन्हें देखकर वो भी जिम जाने लगी. जिम ट्रेनर सोमनाथ चटर्जी जो खुद बॉडी बिल्डिंग में जूनियर मिस्टर इंडिया रह चुके थे, उन्होंने डेडलिफ्ट चैंपियनशिप में भाग लेने को कहा. पहली बार में नतीजा अच्छा रहा, तो उन्होंने 19 वर्ष की उम्र में पावर लिफ्टिंग शुरू किया. 2016 के अंत में देबी प्रसाद चटर्जी जो वर्तमान में भी माधवी के कोच हैं, उनकी देखरेख में पावर लिफ्टिंग की ट्रेनिंग शुरू हुई. इस दौरान बहुत से स्टेट और नेशनल जीत कर स्ट्रोंगेस्ट वुमेन ऑफ इंडिया बनी. 2017 में ट्रेनिंग के दौरान उनका हाथ टूट गया. डॉक्टर ने 6 महीने का रेस्ट लेने को कहा. कोच की सलाह पर लेग वर्कआउट शुरू किया और यहीं से पावर लिफ़्टिंग से बॉडी बिल्डिंग का सफर शुरू हुआ.
शुरुआत में हुई कठिनाई
जब बॉडीबिल्डिंग शुरू किया तो पहले पिता को लगा कि यह पावर लिफ्टिंग की तरह पूरे कपड़ों में होता है. जब उन्हें पता चला कि इसमें बिकनी में स्टेज पर सबके सामने कंपीट करना होता है, तो उन्होंने थोड़ी नाराजगी जाहिर की. साथ में रिश्तेदारों और पड़ोशियों ने भी ताने मारे. लेकिन जब मेडल आने लगा और नाम बनने लगा, तो सभी ने चुप्पी साध ली.
आईएएस बनना चाहती थीं, बॉडी बिल्डर बन गईं
मूल रूप से बिहार के लखीसराय की रहने वाली माधवी विलोचन बचपन में पढ़ाई में बहुत अच्छी थीं. वह आईएएस अधिकारी बनना चाहती थीं. स्कूलिंग के दौरान माधवी का वजन थोड़ा बढ़ गया. उनकी मां ने उन्हें जिम जाने की सलाह दी. बड़े भाई माधव और उनके मित्र अमरदीप को देखकर वह भी जिम जाने लगीं. इसी दौरान जिम ट्रेनर सोमनाथ चटर्जी ने उन्हें डेडलिफ्ट चैंपियनशिप में भाग लेने को कहा. उन्होंने 19 वर्ष की उम्र में पावर लिफ्टिंग शुरू कर दी. 2016 के अंत में उनके कोच देबी प्रसाद चटर्जी की देखरेख में पावर लिफ्टिंग की ट्रेनिंग शुरू हुई. इस दौरान बहुत से स्टेट और नेशनल कॉम्पिटिशन जीत कर स्ट्रॉन्गेस्ट वुमेन ऑफ इंडिया बनीं. 2017 में ट्रेनिंग के दौरान उनका हाथ टूट गया. कोच की सलाह पर लेग वर्कआउट शुरू किया. यहीं से उनका बॉडी बिल्डिंग का सफर शुरू हुआ.
2018 में पहली बॉडी बिल्डिंग चैपिंयनशिप जीती
वर्ष 2018 में पटना में आयोजित मिस्टर इंडिया बॉडी बिल्डिंग में ओवरऑल विनर और चैंपियन ऑफ चैंपियन का खिताब भी जीता. 2019 में चेन्नई में आयोजित मिस इंडिया में भाग लिया. उसमें सिल्वर मेडलिस्ट रहीं. उसके बाद कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कई खिताब जीते.
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