Ranchi: पिछले एक दशक से भी अधिक समय से अनुबंध पर सेवा दे रही एएनएम-जीएनएम, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट और एक्स-रे टेक्नीशियन के सब्र का बांध टूट गया है. अनुबंध पर कार्यरत राज्य के 24 जिले के अनुबंध कर्मचारियों ने सोमवार को झारखंड राज्य एनआरएचएम एएनएम/जीएनएम अनुबंध कर्मचारी संघ के बैनर तले नेपाल हाउस का घेराव किया. घेराव में शामिल कर्मी आक्रोशित थे और सभी लोगों ने एक स्वर में सरकार विरोधी नारे भी लगाए.
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मात्र 15 हजार के मामूली मानदेय में काम करवा रही है सरकार
इस दौरान संघ की प्रदेश अध्यक्ष मीरा कुमारी ने कहा कि कोरोना काल में काम करने के बावजूद भी सरकार का रवैया हम सभी के प्रति उदासीन है. उन्होंने कहा कि अब तक 10 बार मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए हम लोगों ने आवेदन दिया. बावजूद इसके मुख्यमंत्री ने हम लोगों से मुलाकात नहीं की और ना ही हमारी मांग “समान काम के बदले समान वेतन” और “स्थाई करण” पर विचार किया है. इसलिए आज बाध्य होकर हम सभी लोगों ने नेपाल हाउस का घेराव किया है. उन्होंने कहा कि काम करने के बावजूद भी अपने अधिकार के लिए सरकार के समक्ष हम लोगों को भीख मांगना पड़ रहा है. कहा कि मात्र 15465 रुपए के मामूली मानदेय में हमें पूरे महीने काम करवाया जाता है. हमारी स्थिति दयनीय हो चुकी है. हमारे बच्चों का भविष्य अंधकार में है.
कोरोना महामारी से लड़ने में निभायी अहम भूमिका, लेकिन सरकार रवैया उदासीन
वहीं संघ की राज्य संयुक्त सचिव विनीता कुमारी ने कहा कि कोरोना काल में हम सभी लोगों ने सातों दिन ड्यूटी किया है. महामारी से लड़ते हुए हमारे कई साथी असमय काल के गाल में समा गए. लेकिन यह सरकार हम लोगों का शोषण करने पर उतरी हुई है. उन्होंने कहा कि सरकारें बदली, लेकिन हमारी तकदीर बदलने वाली कोई सरकार नहीं आया है. विनीता ने कहा कि सत्ता में आने से पहले हेमंत सोरेन ने कहा था कि हम अनुबंध कर्मचारियों की मांगों पर विचार करते हुए उन्हें स्थाई करेंगे, लेकिन सरकार गठन के डेढ़ साल से भी अधिक समय बीत गए कोई निर्णय नहीं लिया गया.
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