Ranchi : सरकार के सभी विभागों को आधुनिक बनाने के लिए तरह-तरह की तकनीक का सहारा लिया जा रहा है. ठीक ऐसा ही एक निर्णय खनन विभाग में लिया गया था. निर्णय था, खनन विभाग के सभी प्रशासनिक कार्यों को गति देने, पारदर्शिता लाने और ट्रांसपोर्ट के लिए ई-परिवहन की सुविधा देने के लिए झारखंड इंटीग्रेटेड माइंस एंड मिनरल्स मैनेजमेंट सिस्टम (JIMMS) सॉफ्टवेयर लाने का. यह सॉफ्टवेयर 2016 में लाया गया था. लेकिन उसके बाद से आज तक ‘JIMMS’ सॉफ्टवेयर खनन विभाग के अधिकारियों या यूं कहें तो बाबूओं के लिए ऑनलाइन कमाई का जरिया बन गया है. रांची की लेटेस्ट खबरों के लिए यहां क्लिक करें…
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‘JIMMS’ सॉफ्टवेयर लाने की एक मंशा यह भी थी कि सभी जिला खनन कार्यालयों, उप निदेशालय कार्यालयों और मुख्यालयों को आपस में जोड़ा जाए. 2017 के झारखंड खनिज (अवैध खनन, परिवहन और भंडारण की रोकथाम) नियम लाकर इसे कानूनी दर्जा भी दे दिया गया. लेकिन आज खनन विभाग के अधिकारी ‘JIMMS’ सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल यह जानने के लिए कर रहे हैं कि जिला खनन अधिकारी हर महीने कितना अवैध धन की कमाई करते हैं. मुख्यालय स्तर तक ‘JIMMS’ सॉफ्टवेयर से अवैध कमाई पहुंच रहा है. एक अनुमान के अनुसार, यह कमाई हर माह करीब 100 करोड़ रुपये से अधिक का होता है.
‘JIMMS’ सॉफ्टवेयर में नियम यह है कि जिला खनन अधिकारी बार कोड के द्वारा परिवहन चालान काटता है. उसके बाद डीलरों द्वारा JIMMS साइट पर सभी आवश्यक कागजातों को अपलोड किया जाता है. जिला खनन अधिकारी जब सभी कागजों से संतुष्ट होता है, तो एप्रूवल बटन दबाता है. ऐसा करने से खनिजों का वैध रूप से परिवहन चालान बनता है. सूत्रों की मानें, तो रांची के हरमू में बैठने वाले ‘JIMMS’ सॉफ्टवेयर अधिकारी पूरी प्रक्रिया को जानकर रोकते हैं. वे ऐसा तब करते है, जब खदान संचालकों द्वारा चालान देने के लिए निर्धारित शुल्क का भुगतान नहीं किया जाता है.
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नाम नहीं लिखने की शर्त पर एक खनन अधिकारी ने बताया कि बालू चालान के लिए कट मनी 20 रुपये प्रति सीएफटी, स्टोन चिप्स का प्रति क्यूबिक 78 रुपये तय है. इसी तरह एक खदान संचालक पत्थर के चिप्स को बोल्डर के रूप में दिखाने के लिए 250 रुपये प्रति क्यूबिक मीटर तय करता है, लेकिन भुगतान केवल 132 रुपये प्रति क्यूबिक मीटर का करता है. ब्लैक डायमंड की गुणवत्ता/ग्रेडिंग के आधार पर कोयला परिवहन के लिए यह कट मनी 500 से 2000 रुपये प्रति टन निर्धारित है. फिलहाल खदानों के बंद होने और नीलामी प्रक्रिया रूकने से यह कट मनी अभी बंद है.
खनन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी कहना है कि यह प्रथा तब से शुरू हुई, जब खनन विभाग के सचिव श्रीनिवासन थे. इनके रहते पहली बार एक विशेष डीलर और खदान संचालक का एक निश्चित अवैध शुल्क निर्धारित हुआ. तब से इस प्रथा को संस्थागत रूप दे दिया गया. बाद में जब पूजा सिंघल विभागीय सचिव बनीं, तो यह प्रथा चलती रही. अब खनन विभाग में इस कट मनी को लेने के लिए डीलरों और खदान संचालकों का एक सिंडिकेट काम कर रहा है. प्रदेश के कई इलाके विशेषकर संथाल में बड़े पैमाने पर बालू, कोयला और पत्थर के अवैध खनन आज भी निरंतर जारी हैं.