Saurav Singh
Ranchi: कभी झारखंड पुलिस के जवान और अफसर के साथ घूमने वाला जेजेएमपी सुप्रीमो पप्पू लोहरा इन दिनों पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है. पप्पू लोहरा को पकड़ना या फिर मुठभेड़ में मार गिराना झारखंड पुलिस के लिए एक चुनौती का काम बना हुआ है. प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन जेजेएमपी झारखंड पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया है. आए दिन जेजेएमपी से जुड़ी हुई हिंसा की खबरें सामने आ रही हैं, चाहे वह जेजेएमपी के कमांडरों की आपसी लड़ाई हो या अन्य हिंसक घटना. जेजेएमपी का सबसे अधिक प्रभाव लातेहार और पलामू के सीमावर्ती क्षेत्र में है.
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पहले जिस पप्पू लोहरा के साथ घूमते थे,अब उससे ही लड़ना भारी पड़ रहा झारखंड पुलिस को
पांच साल पहले तक पुलिस के अधिकारी और जवान जिस जेजेएमपी के उग्रवादी के साथ जंगल में घूमते थे, अब ऐसा क्या हुआ कि उसी उग्रवादी के साथ पुलिस को मुठभेड़ करना पड़ रहा है. 16 दिसंबर 2018 को जंगल का एक फोटो वायरल हुआ था, जंगल में सीआरपीएफ के अधिकारी व जवान थे और साथ में जेजेएमपी का वह उग्रवादी पप्पू लोहरा व सुशील उरांव भी था. एक तथ्य यह भी था कि पप्पू लोहरा पर झारखंड पुलिस ने 15 लाख का और सुशील उरांव पर 05 लाख रुपये के इनाम की घोषणा कर रखी है. फोटो सामने आने के बाद पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों व सीआरपीएफ के अधिकारियों ने कहा था कि इस तस्वीर की जांच होगी. जांच हुई या नहीं. जांच हुई तो क्या कार्रवाई हुई, इसकी जानकारी अब तक सार्वजनिक नहीं हो पायी है.
जेजेएमपी संगठन कैसे बना, किसके संरक्षण में बना
जेजेएमपी संगठन कैसे बना और किसके संरक्षण में बना. किसके इशारे पर क्या-क्या काम किया. कई वर्षों तक उसे किसकी इजाजत से कुछ भी करने की छूट मिलती रही. यह सब जांच का विषय है. लेकिन आजतक इसकी जांच नहीं हो पायी है. जेजेएमपी को लेवी के रूप प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए मिलते हैं. इन्हीं रुपए की लड़ाई में जेजेएमपी को खड़ा करने वाला टॉप कमांडर संजय यादव, चंचल, विपिन, श्याम सुंदर भुइयां, गणेश लोहरा समेत 40 से अधिक कैडर मारे गए हैं. कुछ दिनों पहले जेजेएमपी को छोड़ कर भागने वाले छोटेलाल यादव की हत्या हो गई थी. सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, जेजेएमपी के पास फिलहाल 20 से अधिक एके 47, एके 56, मोर्टार समेत कई आधुनिक हथियार मौजूद हैं. फिलहाल जेजेएमपी की कमान 15 लाख के इनामी पप्पू लोहरा के पास है.
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