– पीड़ित अभ्यर्थी डॉ. रंजू सैनी ने की राज्यपाल से शिकायत
– आज होना है अभ्यर्थियों का साक्षात्कार
– वर्ष 2018 में निकाली गयी थी असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए वैकेंसी
– बीसी-1 कैटेगरी में मानवशास्त्र के लिए डॉ. रंजू ने किया था आवेदन
Niraj Sisodiya
Ranchi: झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है. मामला वर्ष 2018 में मानवशास्त्र के असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए निकाले गए विज्ञापन से संबंधित है. इस पद के लिए सोमवार को इंटरव्यू होने हैं. इसके लिए बीसी-1 कैटेगरी में आवेदन करने वाली रांची के दीपाटोली निवासी डॉ. रंजू सैनी ने चयन प्रक्रिया पर सवाल खड़े करते हुए कुलाधिपति एवं राज्यपाल रमेश बैस से जांच कर नियमानुसार कार्रवाई की मांग की है. डॉ. रंजू सैनी का कहना है कि उनके मार्क्स आयोग की ओर से इंटरव्यू के लिए निर्धारित कट ऑफ से अधिक हैं, इसके बावजूद उन्हें इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया गया. उन्होंने चयन प्रक्रिया में धांधली कर चहेतों को फायदा पहुंचाने का भी आरोप लगाया है.
वर्ष 2018 में मांगे गए थे आवेदन
डॉ. रंजू सैनी रामलखन सिंह यादव महाविद्यालय के मानवशास्त्र विभाग में अतिथि शिक्षक के रूप में सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं. पिछले पांच वर्षों से भी अधिक समय से वह शिक्षण कार्य कर रही हैं. उन्होंने झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा निकाले गए दो अलग-अलग विज्ञापन संख्या 5/2018 तथा 4/2018 के तहत आवेदन किया था. इस विज्ञापन के आधार पर उन्हें 52.80 अंक प्राप्त होने चाहिए थे, पर आयोग ने उन्हें 49.80 अंक ही दिए. इसमें उनके एकेडमिक अंक के साथ नेट, पीएचडी और आर्टिकल पब्लिशिंग के अंक शामिल किए गए थे, लेकिन शिक्षण के अनुभव के अंकों को शामिल नहीं किया गया.
नहीं दिए थे शैक्षणिक अनुभव के अंक
डॉ. रंजू सैनी ने आयोग को मेल के माध्यम से इस संबंध में 24 फरवरी 2019 को अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए शिक्षण के अनुभव के अंक भी शामिल करने की मांग की. इसके बावजूद आयोग की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया.
पहली भर्ती में आपत्ति दर्ज कराने के बाद बुलाया था इंटरव्यू के लिए
डॉ. रंजू सैनी ने दोबारा 17 नवंबर 2020 को एक आवेदन आयोग को दिया. आयोग ने उस पर भी ध्यान नहीं दिया. आयोग की ओर से विज्ञापन संख्या 5/2018 के तहत भर्ती के लिए 24 नवंबर 2020 को साक्षात्कार का आयोजन किया गया, लेकिन डॉ. रंजू का नाम साक्षात्कार के लिए चयनित आवेदकों की सूची में शामिल नहीं किया गया. जब उन्होंने आपत्ति दर्ज करायी, तो उनके आवेदन के एक साल बाद 18 नवंबर 2021 को आयोग की ओर से उन्हें साक्षात्कार के लिए बुलाया गया.
आज होने वाले साक्षात्कार पर भी सवाल
सोमवार 12 दिसंबर को विज्ञापन संख्या 4/2018 के तह अभ्यर्थियों का साक्षात्कार होना है. इसके लिए अभ्यर्थियों की सूची तैयार कर आयोग की वेबसाइट पर डाल दी गयी है. इस सूची में अभ्यर्थियों की पंजीयन संख्या तो है, लेकिन अंक नहीं दर्शाए गए हैं. आयोग ने पुन: अंक के लिए आपत्ति दर्ज करने की बात कही है. लेकिन सवाल यह उठता है कि जब अंक सार्वजनिक किए ही नहीं गए हैं. तो आपत्ति कैसे दर्ज करायी जा सकती है.
क्या है बीसी-1 कैटेगरी का कटऑफ
डॉ. रंजू सैनी ने बताया कि विज्ञापन संख्या 5/2018 में उन्हें 47.80 अंक दिए गए, जिसके तहत उन्हें साक्षात्कार के लिए बुलाया गया था. उन्होंने कहा कि वर्तमान में बीसी-1 कैटेगरी का कट ऑफ 46.05 है, जबकि उनके अंक 47.80 हैं, फिर भी उन्हें साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाया गया है. आयोग की ओर से उनकी एक साथी रीवा बानी तिर्की को भी शैक्षणिक अनुभव के अंक दिए गए थे, जो वर्तमान में एक विश्वविद्यालय में सेवा भी दे रही हैं. अब डॉ. रंजू ने अपनी आपत्ति आयोग में दर्ज कराने के साथ ही राज्यपाल रमेश बैस से भी मामले की शिकायत की है. उन्होंने बताया कि आयोग ने पांच दिसंबर 2022 को दस्तावेज सत्यापन हेतु अभ्यर्थियाें की सूची जारी की थी, जिसमें योग्य होने के बावजूद उनका नाम शामिल नहीं किया गया था.
ये भी हुआ घोटाला
डॉ. रंजू सैनी ने दावा किया है कि जिन अभ्यर्थियों के नाम दस्तावेज सत्यापन संबंधी सूची में शामिल किए गए हैं, उनके अंक बाद में बढ़ाए गए हैं. उन्होंने कहा कि आयोग बताए कि उनके अंक क्यों काटे गए और न्यूनतम अर्हता से अधिक अंक लाने के बावजूद उन्हें साक्षात्कार के लिए क्यों नहीं बुलाया गया.
पब्लिकेशन में भी गड़बड़झाला
डॉ. रंजू सैनी ने बताया कि पब्लिकेशन के लिए दिए जाने वाले अंकों में भी गड़बड़झाला किया गया है. आयोग की ओर से यह स्पष्ट नहीं है कि किस पब्लिकेशन से बुक पब्लिश होने पर अभ्यर्थी को पब्लिकेशन के अंक दिए जाएंगे. आयोग ने आवेदन फॉर्म में लिखा है कि सिर्फ उसी प्रकाशन के अंक शामिल किए जाएंगे, जो विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित हों, राष्ट्रीय स्तर के प्रकाशन से प्रकाशित हों या श्रेष्ठ प्रकाशन से प्रकाशित हों. इन श्रेणियों में कौन से प्रकाशन आएंगे और कौन से नहीं, यह स्पष्ट नहीं किया गया है. उन्होंने राज्यपाल से उन सभी की जांच करने की अपील की है, जिन्हें बाद में पब्लिकेशन के अंक दिए गए थे. उन्होंने पूछा है कि आखिर उनके अंक किस आधार पर बढ़ाए गए ? पब्लिकेशन के अंक सिर्फ एक अभ्यर्थी को ही क्यों दिए गए हैं?
जीईआर में योगदान देने वालों को अयोग्य घोषित क्यों कर रहा आयोग
डॉ. रंजू सैनी ने जेपीएससी में नियुक्तियों में खेल होने का आरोप लगाते हुए सवाल उठाया है कि आखिर जो लोग 5-6 साल से शिक्षण कार्य कर रहे हैं. उच्च शिक्षा में ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो (जीईआर) बढ़ाने में अपना योगदान दे रहे हैं, जो नेट एवं पीएचडी पास हैं, वे आयोग द्वारा अयोग्य क्यों घोषित किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड में वर्ष 2008 के बाद 2018 में भर्तियां निकाली गई थीं. ऐसे में नियुक्ति में वरीयता का ध्यान दिया जाना चाहिए.
नहीं उठा आयोग के अध्यक्ष का फोन
इस संबंध में जानकारी लेने के लिए जब झारखंड लोक सेवा आयोग की अध्यक्ष डॉ. मैरी नीलिमा केरकेट्टा के ऑफिशियल मोबाइल नंबर पर फोन किया गया, तो उन्होंने फोन नहीं उठाया. अगर वे चाहें तो हमें अपना पक्ष दे सकती हैं. हम उनका पक्ष भी प्रमुखता से प्रकाशित करेंगे.