- 24 नवंबर 2021 को नोटिफिकेशन हुआ था जारी, 15 जनवरी 2022 को आवेदन फॉर्म भराया गया
- परीक्षा विज्ञापन निकाले जाने को एक साल होने को है, अभी तक फोटो और हस्ताक्षर अपलोड कराने में आयोग फंसा है, अब तिथि हुई 16 दिसंबर 2022
- कई बार परीक्षा की तिथि निर्धारित की गयी, पर हर बार बढ़ती गयी
- 21, 22, 28 और 29 जनवरी 2023 की निर्धारित तिथि भी ‘संभावित
- सरकार के वकील मुकुल रोहतगी ने हाइकोर्ट में हिंदी जोड़े जाने पर पुनर्विचार करने की कही थी बात.
- राज्य सरकार द्वारा बनायी गयी नियमावली को लेकर हाइकोर्ट में दाखिल की गयी है याचिका
Ranchi : झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा ली जाने वाली संयुक्त स्नातक प्रतियोगिता परीक्षा विज्ञापन निकाले जाने को एक साल पूरे होने को है. पर यह परीक्षा आज तक नहीं हो पायी है. परीक्षा नहीं लिए जाने का कारण राज्य सरकार द्वारा बनायी गयी नियमावली है. नियमावली का मामला अभी हाइकोर्ट में लंबित है. झारखंड हाइकोर्ट में 11 मई को चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में जेएसएससी की नई नियुक्ति नियमावली के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई थी. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा था कि सरकार पेपर दो में हिंदी को रखने पर पुनर्विचार कर सकती है. लेकिन आज तक सरकार या आयोग के स्तर पर कोई पहल नहीं की गयी.
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अभी भी परीक्षा पर संशय
आयोग ने परीक्षा की जो तिथि जारी है, वह संभावित है. इससे पहले 24 नवंबर 2021 को नोटिफिकेशन जारी होने और 15 जनवरी 2022 को आवेदन फॉर्म लेने के बाद से कई बार परीक्षा की तिथि निर्धारित की गयी. पर हर बार तिथि बढ़ती गयी. अब 21, 22, 28 और 29 जनवरी 2023 की तिथि आयोग ने निर्धारित की है, जो आयोग के मुताबिक संभावित है.
फिर बढ़ी फोटो और हस्ताक्षर अपलोड करने की तिथि
संयुक्त स्नातक प्रतियोगिता परीक्षा के विज्ञापन निकाले जाने के बाद जेएसएससी एक साल में फोटो और हस्ताक्षर अपलोड करने में ही लगी है. एक बार फिर से आयोग ने परीक्षा फॉर्म में फोटो और हस्ताक्षर अपलोड करने की तिथि बढ़ा दी है. अब यह तिथि 16 दिसंबर 2022 की गयी है.
मौलिक अधिकारों का हनन बताकर हाइकोर्ट में दाखिल की गई थी याचिका
बता दें कि जेएसएससी परीक्षा को लेकर राज्य सरकार ने जो नियमावली बनायी, उसे असंवैधानिक बताते हुए सामान्य कोटि के अभ्यर्थियों ने हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की है. अभ्यर्थियों के मुताबिक नियमावली संविधान की आर्टिकल-14 व 16 का उल्लंघन है. इससे मौलिक अधिकारों का हनन होता है. हाइकोर्ट में कई बार इस मामले में सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया है. कोर्ट का जो फैसला आएगा, वह परीक्षा का भविष्य तय करेगा.
यह है आपत्ति
- नियमावली में शर्त थी कि वही अभ्यर्थी फॉर्म भर पाएंगे, जो राज्य अंतर्गत संस्थान से ही 10वीं व इंटर की परीक्षा पास किए हो. यह शर्त सिर्फ सामान्य श्रेणी पर ही लागू होगी. रिजर्व श्रेणी (एसटी, एससी और ओबीसी वर्ग) के अभ्यर्थियों को इसमें छूट दी गई है. इसका सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों ने विरोध किया है.
- भाषा के पेपर से हिंदी व अंग्रेजी को हटा दिया गया है, जबकि उर्दू, बांग्ला व ओडिया भाषा को शामिल किया गया है, जिसका भी अभ्यर्थियों ने विरोध किया है.
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