Ranchi: JSSC नियमावली संशोधन को चुनौती देने वाली अलग- अलग याचिकाओं पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 20 जुलाई की तिथि मुक़र्रर की है. अदालत ने अगली सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से उपस्थित अधिवक्ता को सरकार से समुचित दिशा-निर्देश लेकर आने का निर्देश दिया है. राज्य सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और पीयूष चित्रेश ने कोर्ट में पक्ष रखा. प्रार्थियों की ओर से अजीत कुमार, अपराजिता भारद्वाज, कुमार हर्ष, कुशल कुमार और तान्या सिंह ने अदालत में बहस की. ( कोर्ट से जुड़ी खबरों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )
इसे भी पढ़ें – CM ममता बनर्जी को अवॉर्ड देना रास नहीं आया, लेखिका ने पुरस्कार लौटाया, साहित्य अकादमी के सदस्य का इस्तीफा
हिंदी को किस आधार पर हटाया गया
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि
हिंदी झारखंड में सबसे ज़्यादा बोले जाने वाली भाषा है. तो इसे किस आधार पर हटाया गया ?
जिसपर मुकुल रोहतगी ने अदालत में मौखिक रूप से कहा कि हम हिंदी विषय को वापस जोड़ने के लिए तैयार हैं. वहीं कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को मिले लाभ के बाद भी यह सुविधा किस प्रावधान के तहत दी गई.
इसे भी पढ़ें – भ्रष्ट IAS अधिकारी में केवल पूजा सिंघल ही चर्चित नाम नहीं, देश के कई नौकरशाह भी हैं इस सूची में
JSSC परीक्षा नियमावली में किया गया संशोधन असंवैधानिक
बता दें कि रश्मि कुमारी, रमेश हांसदा, अभिषेक कुमार दुबे और विकास चौबे ने राज्य सरकार द्वारा JSSC परीक्षा नियमावली में किये गए संशोधन के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. याचिकाकर्ता द्वारा अदालत में दाखिल की गई रिट में कहा गया है कि JSSC परीक्षा नियमावली में किया गया संशोधन असंवैधानिक है, और इससे वे प्रभावित हुई हैं. प्रार्थी रश्मि के मुताबिक, उन्होंने 10वीं की परीक्षा झारखंड में पास की और इंटर की पढ़ाई दूसरे प्रदेश में की, लेकिन 1932 के खतियान के आधार पर अंचल से स्थानीय आवासीय का सर्टिफिकेट प्राप्त है. इसके बावजूद मैं JSSC की परीक्षा में शामिल होने से वंचित हूं. इससे मेरे मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है. इसके साथ ही प्रार्थी ने हिंदी पेपर को हटाये जाने को भी चुनौती दी है.
इसे भी पढ़ें – HC का निर्देश : विनोबा भावे विवि के VC व रजिस्ट्रार करणपुर्रा कॉलेज मामले में दें जवाब