NewDelhi : समाज के बुद्धिजीवियों का कर्तव्य बनता है कि वो राज्य के झूठ को उजागर करें. यह विचार सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने व्यक्त किये. जस्टिस चंद्रचूड़ आज शनिवार सुबह नागरिकों के सत्ता से सच बोलने का अधिकार विषयक एक ऑनलाइन व्याख्यान में बोल रहे थे.
व्याख्यान के तहत जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, लोकतंत्र में राज्य (सरकारें) राजनीतिक कारणों से झूठ नहीं बोल सकते हैं.उन्होंने कहा कि सच्चाई के लिए केवल राज्य पर भरोसा नहीं किया जा सकता. जस्टिस चंद्रचूड़ ने आह्वान किया कि समाज के प्रबुद्ध लोग सरकारों के झूठ को उजागर करें. उन्होंने कहा, एकदलीय सरकारें सत्ता को मजबूत करने के लिए झूठ पर निरंतर निर्भरता के लिए जानी जाती हैं.
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मीडिया की निष्पक्षता सुनिश्चित की जानी चाहिए.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, COVID के समय में हम देख रहे हैं कि दुनिया भर के देशों में COVID डेटा में हेरफेर करने का चलन बढ़ रहा है. इस क्रम में उन्होंने फेक न्यूज पर भी हल्ला बोला. कहा कि आज फेक न्यूज का चलन बढ़ता ही जा रहा है. कहा कि WHO ने COVID महामारी के दौरान इसे इन्फोडेमिक’ कहते हुए पहचाना था. उन्होंने कहा कि मीडिया की निष्पक्षता सुनिश्चित की जानी चाहिए. जस्टिस चंद्रचूड़ के अनुसार मानव जाति में सनसनीखेज खबरों की ओर आकर्षित होने की प्रवृत्ति होती है, जो अक्सर झूठ पर आधारित होती है.
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ट्विटर जैसे सोशल मीडिया पर झूठ का बोलबाला है
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया पर झूठ का बोलबाला है. सच्चाई के बारे में लोगों का चिंतित न होना, सत्य के बाद की दुनिया में एक और घटना है. जस्टिस चंद्रचूड़ का कहना था कि हमारी सच्चाई बनाम आपकी सच्चाई और सच्चाई की अनदेखी करने की प्रवृत्ति के बीच एक प्रतियोगिता छिड़ी हुई है, जो सच्चाई की धारणा के अनुरूप नहीं है. कहा कि सच्चाई की तलाश नागरिकों के लिए एक प्रमुख आकांक्षा होनी चाहिए. हमारा आदर्श वाक्य सत्यमेव जयते’ है. हमें राज्य और विशेषज्ञों से सवाल करने के लिए तैयार रहना चाहिए.