NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आज बुधवार को भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली. उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ दिलाई. जस्टिस चंद्रचूड़ का सीजेआई के रूप में दो साल का कार्यकाल होगा. वे 10 नवंबर, 2024 को रिटायर होंगे. इससे पहले 8 नवंबर को CJI यूयू ललित रिटायर हो गये. जस्टिस ललित का सीजेआई के तौर पर 74 दिनों का छोटा कार्यकाल रहा. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 13 मई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी.
Delhi | President Droupadi Murmu administered the oath of office to Justice DY Chandrachud as the 50th Chief Justice of India in succession to Justice Uday Umesh Lalit, in Rashtrapati Bhavan. pic.twitter.com/R4Z3e4cDMr
— ANI (@ANI) November 9, 2022
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अयोध्या समेत कई केस में संविधान पीठ का हिस्सा रहे जस्टिस चंद्रचूड़
जान लें कि जस्टिस चंद्रचूड़ कई संविधान पीठों का हिस्सा रहे हैं. अयोध्या का ऐतिहासिक फैसला, निजता के अधिकार, व्यभिचार को अपराध से मुक्त करने और समलैंगिता को अपराध यानी IPC की धारा 377 से बाहर करने, सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश, और लिविंग विल जैसे बड़े फैसले किये हैं. वे उन जजों में से एक हैं, जिन्होंने कभी-कभी अपने साथी जजों के साथ सहमति भी नहीं जताई.
आधार कार्ड के प्रसिद्ध फैसले में, जस्टिस चंद्रचूड़ ने असहमति जताई थी
आधार कार्ड के प्रसिद्ध फैसले में, जस्टिस चंद्रचूड़ ने बहुमत से असहमति जताते हुए कहा था कि आधार को असंवैधानिक रूप से धन विधेयक के रूप में पारित किया गया था और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन था. उन्होंने भीमा कोरेगांव में कथित रूप से हिंसा भड़काने के आरोपी पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी से संबंधित एक मामले में भी असहमति जताई थी, जब पीठ के अन्य दो जजों ने पुणे पुलिस को कानून के अनुसार अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दी थी.