Brijendra Dubey
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से शुरू हुई धर्मनिरपेक्षता की मिसाल मोहब्बत की दुकान मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में गायब नजर आ रही है. एमपी में कांग्रेस का चेहरा बने कमलनाथ खुद को हिंदुओं का असली हितैषी बताने की होड़ में कुछ भी करने को तैयार हैं. कमलनाथ की इस चाल के सामने भाजपा का हिंदुत्व फीका नजर आने लगा है. कमलनाथ की यह चुनावी चाल भाजपा पर भारी पड़ तो रही है, लेकिन इसको लेकर कांग्रेस कितनी सहज होगी, यह आनेवाला समय बताएगा.
मध्य प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस नेता पूर्व सीएम कमलनाथ हनुमान भक्त के रूप में पहले से मशहूर हैं. साथ ही कांग्रेस में वे सॉफ्ट हिंदुत्व के चेहरे भी रहे हैं. प्रदेश में हनुमान मंदिर, संतों के दर्शन और पूजा पाठ, प्रियंका गांधी से नर्मदा पूजा आदि करवा कर भाजपा को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए जाने जाते रहे हैं. पर इस बार के चुनावों में तो उन्होंने सॉफ्ट हिंदुत्व की सीमा रेखा ही पार कर ली है. हाल के दिनों में कमलनाथ की राजनीति कट्टर हिंदुत्व की ओर बढ़ रही है. दरअसल कमलनाथ को पता है कि एमपी की राजनीति में मुसलमान कांग्रेस को छोड़ कर कहां जाएंगे.
वे जानते हैं कि वे चाहे कितना भी हिंदुत्व की पैरवी कर लें, मुस्लिम वोट उनसे छिटकने वाले नहीं हैं. यही कारण है कि कमलनाथ राहुल गांधी की मोहब्बत की दुकान छोड़ कर हिंदुत्व की पिच पर जम कर बैटिंग कर रहे हैं. कई बार तो ऐसा लगता है कि उनके हिंदुत्व के आगे भाजपा भी फीकी नजर आ रही है. खास तौर पर दशहरे पर कमलनाथ ने जो हिंदुओं के लिए वादे किए हैं, उससे तो यही लगता है कि उनकी सरकार केवल हिंदुओं की सरकार होगी.
इसी साल 12 जून को प्रियंका गांधी ने मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी जबलपुर में 101 ब्राह्मणों के साथ मां नर्मदा का पूजन कर कांग्रेस के चुनावी अभियान की दिशा तय कर दी थी. जबलपुर शहर में बजरंगबली की 30-30 फीट की गदा भी प्रियंका की अगवानी के लिए लगाई गई थी. कर्नाटक में राहुल गांधी ने भाजपा के बजरंगबली के नारे को मोहब्बत की दुकान की धर्मनिरपेक्षता से चुनौती दी थी. मध्यप्रदेश तक पहुंचते-पहुंचते कांग्रेस भी बजरंगबली के चरणों में बिछ गई है. हिंदू राष्ट्र की वकालत करने वाले धीरेंद्र शास्त्री के प्रवचन कमलनाथ अपने घर छिंदवाड़ा में करा चुके हैं. शिव कथा वाचक प्रदीप मिश्रा का भी आशीर्वचन लिया जा चुका है. हद तो तब हो गई जब कांग्रेस ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट नवरात्र के पहले दिन सुबह 9 बजकर 9 मिनट पर जारी की.
इसे कमलनाथ का हार्ड हिंदुत्व का दांव ही माना जा रहा है कि एमपी में कांग्रेस मुस्लिमों से दूरी बनाती हुई नजर आ रही है. कांग्रेस ने एमपी चुनाव के लिए कई समितियां बनाईं पर 102 सदस्यों में सिर्फ तीन मुस्लिम नेताओं को ही जगह मिल सकी. इसी तरह विधायिकी के लिए मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या भी कांग्रेस ने कम कर दी है. कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में तीन मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे, जबकि 2023 में कुल 2 मुस्लिमों को ही जगह दी गई है. राजनीतिक के विश्लेषक भी मान रहे हैं कि कांग्रेस 7 परसेंट वोट के लिए अपना 93 प्रतिशत हिंदू वोट नहीं खराब करना चाहती है. वैसे भी मुस्लिम वोट कहीं ओवैसी की पार्टी ले जाती है तो कहीं समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी.
कमलनाथ का नया हिन्दुत्व कार्ड है श्रीलंका में सीता माता का मंदिर बनावाने का वादा. हालांकि कमलनाथ के नेतृत्व वाली 2018 में बनी सरकार ने श्रीलंका में माता सीता के मंदिर के निर्माण की योजना बनाई थी, पर इसका काम शुरू हो पाता इसके पहले ही प्रदेश में तख्तापलट हो गया और भाजपा की सरकार बन गई. कमलनाथ ने एक बार फिर वादा किया है कि अगर कांग्रेस की सरकार बनती है, तो श्रीलंका में देवी सीता के मंदिर का निर्माण दोबारा शुरू किया जाएगा. विजयादशमी के अवसर पर कमलनाथ ने हिंदू जनता के लिए कई तरह के वादे किए हैं. मंदिरों में दर्शन के लिए टिकट सिस्टम हटाने की बात करके उन्होंने भाजपा पर सीधा हमला किया है.
भगवान परशुराम के जन्मस्थल जानापाव को भी तीर्थस्थल घोषित करके उसका विकास करने का वादा किया है.
हिंदुओं को परिजनों के मृत होने पर उनके अस्थि विसर्जन एवं अंत्येष्टि के लिए 10 हजार रुपए की सहायता राशि दिए जाने का भी कमलनाथ ने वादा किया है. कमलनाथ ने अपनी पूर्ववर्ती सरकार में भी पुजारियों और महंतों का ख्याल रखा था, इस बार उनका बीमा करवाने का वादा किया है. यही नहीं कमलनाथ सोची समझी रणनीति के तहत दिग्विजय सिंह से एक निश्चित दूरी बना कर चल रहे हैं. कमलनाथ जानते हैं कि दिग्विजय की छवि एंटी हिंदू की है. इसलिए उन्होंने अपने आपको ऐसे स्टैबलिश किया है कि वे दिग्विजय सिंह के साथ न दिखें.
कमलनाथ भाजपा के हिंदुत्व के कार्ड के ज़रिए ही शिवराज सिंह चौहान को सत्ता से अपदस्थ करना चाहते हैं. पर सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस के इस तरह के शॉर्ट कट से पार्टी को नुकसान नहीं होगा ? मोदी या भाजपा की काट अगर हिन्दुत्व है फिर भाजपा ही क्यों नहीं जैसे सवालों का जवाब कैसे देगी कांग्रेस? राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि भाजपा से मुकाबले के लिए कांग्रेस ने हिंदुत्व की लकीर बड़ी खींच दी है. इसलिए भाजपा और बड़ी लकीर खीचने की तैयारी में है. शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के कई धर्मस्थलों पर महाकाल जैसा कॉरीडोर बनाने का वादा किया है. कई जगह बहुत तेज गति से काम भी हुए हैं. ओंकारेश्वर में शंकराचार्य की मूर्ति लग चुकी है. दूसरे मध्य प्रदेश में एक नया वोट बैंक तैयार हुआ है. वह है महिलाओं का. महिलाओं के बीच शिवराज सिंह चौहान अपनी तमाम योजनाओं के चलते बहुत लोकप्रिय हैं. हालांकि कांग्रेस भी महिलाओं को लुभाने के लिए तमाम फ्रीबीज वाली योजनाएं ले कर आने का वादा कर रही है. अब देखना है कि महिलाओं को कितना भरोसा जीतने में कामयाब होती है कांग्रेस.
डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.