Chaibasa/Noamundi : टाटा डीएवी पब्लिक स्कूल नोवामुंडी में सोमवार को कारगिल विजय दिवस समारोह मनाया गया. प्राचार्य प्रशांत कुमार भुइयां ने अपने संबोधन में कहा कि कारगिल विजय दिवस स्वतंत्र भारत के सभी देशवासियों के लिये एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिवस है. यह कारगिल विजय दिवस युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान हेतु मनाया जाता है.
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सामाजिक विज्ञान के शिक्षक डॉ श्रीकृष्ण सिंह ने कहा कि 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद भी कई दिन सैन्य संघर्ष होता रहा. इतिहास के मुताबित दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण के कारण तनाव और बढ़ गया था. स्थिति को शांत करने के लिये दोनों देशों ने फरवरी 1999 में लाहौर में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किये. जिसमें कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का वादा किया गया था. लेकिन पाकिस्तान अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजने लगा और इस घुसपैठ का नाम ऑपरेशन बद्र रखा. इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था. प्रारंभ में इसे घुसपैठ मान लिया गया था और दावा किया गया कि इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जायेगा. लेकिन नियंत्रण रेखा में खोज के बाद और इन घुसपैठियों के नियोजित रणनीति में अंतर का पता चलने के बाद भारतीय सेना को अहसास हो गया कि हमले की योजना बहुत बड़े पैमाने पर की गयी है. इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय नाम से 2,00,000 सैनिकों को भेजा. यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ. इस युद्ध के दौरान 550 सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया और 1400 के करीब घायल हुए थे. कार्यक्रम में शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की उपस्थिति सराहनीय रही. कार्यक्रम का समापन संस्कृत शिक्षक सुरेश पंडा के द्वारा शांति पाठ गाकर किया गया. कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन सीसीए प्रभारी देवेंद्र कुमार देव ने किया.