New Delhi : कर्नाटक में चार प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण के मामले में आज मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने कर्नाटक की चुनावी रैलियों के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मुस्लिम आरक्षण विरोघी टिप्पणियों का जिक्र सुप्रीम कोर्ट के समक्ष किया. जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने अमित शाह की बयनबाजी पर नाराजगी जताई. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
जस्टिस बीवी नागरत्ना का कहना था कि जब मामला अदालत के समक्ष लंबित है, तब इस तरह के बयान नहीं दिये जाने चाहिए. श्री दवे याचिकाकर्ताओं की ओर से SC में पेश हुए थे. याचिका में कर्नाटक में मुसलमानों का 4 फीसदी आरक्षण खत्म करने के कर्नाटक सरकार के फैसले को चुनौती दी गयी है.
धर्म आधारित कोटा नहीं होना चाहिए तो इसमें गलत क्या है?
कर्नाटक सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले में कहा कि उन्हें इस तरह की टिप्पणियों का पता नहीं है. हालांकि, उन्होंने दलील दी कि अगर कोई कह रहा है कि धर्म आधारित कोटा नहीं होना चाहिए तो इसमें गलत क्या है? दुष्यंत दवे ने कहा, अमित शाह ने कहा कि कर्नाटक में मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण असंवैधानिक था. इसलिए भाजपा सरकार ने इसे रद्द कर दिया.
भाजपा सरकार ने राज्य में 4 प्रतिशत मुस्लिम कोटा खत्म कर दिया था
मामले की अगली सुनवाई अब लगभग ढाई माह बाद 25 जलाई को होगी. खबरों के अनुसार सॉलिसिटर जनरल ने सेम सेक्स मैरिज मामले में संविधान पीठ की सुनवाई के मद्देनजर स्थगन की मांग की थी. मामले की तह में जायें तो कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारुढ़ भाजपा सरकार ने राज्य में 4 प्रतिशत मुस्लिम कोटा खत्म कर दिया था. जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो सुनवाई के क्रम में कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह अत्यधिक अस्थिर और त्रुटिपूर्ण लगता है.
इसके बाद कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिया कि वह अपने 24 मार्च के आदेश को स्थगित रखेगी, जिसके तहत शिक्षण संस्थानों में प्रवेश और वोक्कालिगा और लिंगायत को सरकारी नौकरियों में नियुक्ति के लिए कोटा दिया गया था. इस आदेश में मुसलमानों को दिये गये चार प्रतिशत आरक्षण को दो समुदायों के बीच समान रूप से बांटा जाना था.