NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने आज बुधवार को केरल विधानसभा में हंगामा करने वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) के विधायकों को राहत देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी. मामला साल 2015 का है, जब राज्य में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) की सरकार थी. बता दें कि राज्य सरकार ने केरल हाईकोर्ट के 12 मार्च के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दाखिल कर विधायकों के खिलाफ केस वापस लेने की इजाजत मांगी थी.
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तब वामपंथी विपक्ष में थे
जब विधानसभा में यह हंगामा हुआ था, तब मौजूदा वामपंथी सरकार विपक्ष में थी. राज्य विधानसभा में 13 मार्च, 2015 को अभूतपूर्व नजारा देखने को मिला था, जब एलडीएफ सदस्यों ने उस समय विपक्ष में तत्कालीन वित्त मंत्री केएम मणि को राज्य का बजट पेश करने से रोकने की कोशिश की थी, जो बार रिश्वत घोटाले में आरोपों का सामना कर रहे थे. विपक्षी सदस्यों ने स्पीकर की कुर्सी को हटाने के अलावा, पीठासीन अधिकारी के डेस्क पर लगे कंप्यूटर, की-बोर्ड और माइक जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी तोड़फोड़ दिये थे.
केरल सरकार की याचिका में कोई मेरिटनहीं
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने अजीत और अन्य के खिलाफ केरल सरकार की याचिका पर सुनाया फैसला है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधायकों के पास कानून से बचाव के लिए कोई विशेषाधिकार नहीं है. केरल सरकार द्वारा याचिका वापस लेना जनता के लिए न्याय नहीं होगा. ट्रायल कोर्ट भी FIR वपास लेने की मांग खरिज कर चुका है. केरल सरकार की याचिका में कोई मेरिट नहीं है.
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डीएलएफ के विधायकों ने हंगामा और तोड़फोड़ की थी
जान लें कि वर्ष 2015 में केरल विधानसभा में डीएलएफ के विधायकों ने हंगामा और तोड़फोड़ की थी मामला कोर्ट में चला गया. इस मामले पर केरल की सरकार विधायकों के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लेना चाहती थी. निचली अदालत और हाईकोर्ट ने सरकार को मुकदमा वापस लेने की इजाजत नहीं दी थी. जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी मुकदमा वापस लेने के केरल सरकार के फैसले को गलत ठहराते हुए केरल सरकार की अपील खारिज कर दी है.
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले से केरल सरकार को निराशा हाथ लगी
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से केरल सरकार को निराशा हाथ लगी है. सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों की अनुशासनात्मक कार्रवाई को वापस लेने की मांग वाली याचिका खारिज करते हुए अपने फैसले में कहा कि चुने हुए लोग कानून से ऊपर नहीं हो सकते और उन्हें उनके अपराध के लिए छूट नहीं दी जा सकती. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधायकों को विशेषाधिकार इसलिए दिये गये हैं कि आप लोगों के लिए काम करें .साथ ही कहा कि विधानसभा में तोड़फोड़ करने का अधिकार नहीं दिया गया है.
विशेषाधिकार विधायकों को क्रिमिनल लॉ से संरक्षण नहीं देते
सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार से कहा कि आपके विशेषाधिकार विधायकों को क्रिमिनल लॉ से संरक्षण नहीं देते हैं. सुनवाई के क्रम में कोर्ट ने केरल सरकार से पूछा था कि उपद्रवी विधायकों के खिलाफ दर्ज शिकायत वापस लेने और कार्यवाही निरस्त करना कौन से जनहित में आता है? कहा कि कोर्ट के फैसले से ही नजीर बनेगी कि सदन में उपद्रव करने के नतीजे क्या हो सकते हैं? विशेषाधिकार की लक्ष्मण रेखा कहां तक है? राजनीतिक मुद्दे पर विरोध कहां तक हो सकता है?