Ranchi: “खान विभाग से सवाल पूछो तीर घाट का तो जवाब मिलता है मीर घाट का”. मेरे सवाल के जवाब में खान विभाग सिर्फ इतना कह रहा है कि सुप्रीम कोर्ट का एक निर्णय हुआ है. इन बातों को सरयू राय मीडिया के सामने विधानसभा परिसर में रख रहे थे. उन्होंने कहा कि 2011-12 में एक ओएमएम नाम की कंपनी थी. जिसने चाईबासा जिले में अनुमति से ज्यादा खनन कर लिया. उसके बाद वहां के डीसी ने उस गलती पर जुर्माना देने के लिए कुछ नहीं किया.
सरयू ने बताया कि डीसी ने डीएमओ को लिख दिया कि कंपनी ने 2009-10 में जितना ज्यादा खनन कर लिया है, उसे 2011-12 में उतना कम खनन करने दीजिए. जो 2010-11 में खनन किया है उसे 2012-13 में घटा लीजिए. जबकि ऐसा आदेश देने का पावर डीसी को नहीं है. मेरा यही सवाल था. लेकिन सवाल का जवाब ही सही नहीं दिया गया. ना ही हां कहा गया और ना ही ना कहा गया. विडंबुना यह है कि उस वक्त जो डीसी थे चाईबासा में वहीं अभी खान विभाग के सचिव हैं. उन्होंने अपने बारे में कोई जवाब ही नहीं दिया है.
बता दें कि सरयू राय खान सचिव के श्रीनिवासन पर यह आरोप लगा रहा थे. जिस वक्त ओएमएम कंपनी ने ज्यादा खान को मैनेज करने के लिए डीसी की तरफ से डीएमओ को चिट्ठी लिखी, उस वक्त वहां के डीसी के श्रीनिवासन थे.
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जानिए सरयू के सवाल और खान विभाग के जवाब
पहला सवालः पूर्व मंत्री सरयू राय ने खनन विभाग से पूछा कि क्या यह बात सही है कि ओएमएम कंपनी ने 2009-10 में पर्यावरण स्वीकृति की सीमा से 0.615 मीट्रिक टन और 2010-11 में 0.665 मीट्रिक टन अधिक उत्पादन किया.
इस सवाल के जवाब में खान विभाग का हां या नहीं है. विभाग की तरफ से लिखा जाता है कि सुप्रीम कोर्ट में पारित आदेश के आलोक में खनन पट्टाधारियों की तरफ से क्षमता से ज्यादा खनन किया जाता है तो खनिज मूल्य सरकार की तरफ से फाइन किया जाएगा. उस आदेश के आलोक में ओएमएम से वसूली की कार्रवाई 2017-18 से शुरू की गयी थी.
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खनन विभाग की तरफ से 86.70 करोड़ वसूल करने के लिए निलाम पत्र दायर किया गया है. इसके जवाब में सरयू राय के सवाल को विभाग की तरफ से उलझाने की कोशिश की गयी. सवाल कुछ था औऱ जवाब कुछ और.
दूसरा सवालः सरयू राय के दूसरे सवाल में उन्होंने पूछा कि क्या यह सही है कि डीसी की तरफ से जुर्माना वसूले जाने के बजाय डीसी ने कंपनी की तरफ से जितना अधिक खनन किया गया है उसे आने वाले साल में मैनेज कर लेने को कहा गया. इस सवाल के जवाब में भी विभाग की तरफ से उस, सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बात कही गयी.
तीसरा सवालः इस सवाल में सरयू राय ने पूछा कि क्या यह सही है कि जिस तरह तत्कालीन डीसी ने इसे मैनेज करने को खनन विभाग को लिखा वो सही है. इस सवाल का जवाब विभाग की तरफ से दिया ही नहीं गया.
चौथा सवालः इस सवाल के जवाब में भी पहले ही दिये गए जवाब को दोहराया गया. जवाब सवाल से कोसों दूर दिखा. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या आईएएस के श्रीनिवासन ने चाईबासा डीसी रहते हुए जो किया है. उसपर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं.
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