LagatarDesk : लोकआस्था का महापर्व छठ 28 अक्टूबर से शुरू हो गया है. चार दिवसीय महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. इसके अगले दिन खरना होता है. जिसे लोहंडा भी कहा जाता है. खरना कार्तिक मास की पंचमी को मनाया जाता है. इस साल खरना 29 अक्टूबर यानी आज है. इस दिन सूर्योदय सुबह 06 बजकर 31 मिनट पर है और सूर्यास्त शाम को 5 बजकर 26 मिनट पर होगा. खरना के बाद तीसरे यानी षष्ठी तिथि को अस्ताचलगामी और चौथे दिन उदीयमान सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद व्रत का पारण यानि समापन किया जाता है. (पढ़ें, सजने लगे छठ घाट, जमशेदपुर में सरयू-रघुवर समर्थक में हिंसक झड़प,आप पूछने वाले कौन : जयराम, छठ में बिजली संकट समेत कई बड़ी खबरें जरूर पढ़ें अपने प्रिय अखबार शुभम संदेश में)
व्रती तन और मन का करती हैं शुद्धिकरण
छठ महापर्व में खरना का खास महत्व है. इस दिन व्रती दिनभर व्रत रखती है और खरना का प्रसाद बनाती हैं. फिर रात में खीर प्रसाद ग्रहण करती है. इसके बाद छठ पूजा का पारण होने के बाद ही व्रती अन्न-जल ग्रहण करती हैं. खरना का अर्थ होता है शुद्धिकरण. इस दिन एक समय ही भोजन किया जाता है. इस दिन केवल तन का ही नहीं बल्कि मन का भी शुद्धिकरण होता है. इसलिए इस दिन रात में व्रती खीर खाकर छठ के लिए अपने तन और मन को शुद्ध करती हैं. खरना के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ होता है.
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खरना के दिन बनती है खीर
खरना के दिन खीर, गुड़ तथा चावल का इस्तेमाल कर शुद्ध तरीके से खीर बनायी जाती है. खरना पूजा में खीर के अलावा अलग-अलग क्षेत्र की परंपरा के मुताबिक केला तथा अन्य चीजें भी रखी जाती हैं. इसके अलावा प्रसाद में रोटी, पूरी, गुड़ की पूरियां और मिठाईयां भी भगवान को अर्पित की जाती हैं. छठी मइया को भोग लगाने के बाद व्रती इसी प्रसाद को ग्रहण करती हैं.
नये चूल्हे और आम की लकड़ी में बनाया जाता है प्रसाद
खरना का प्रसाद नये मिट्टी के चूल्हे पर बनता है. लेकिन बदलते जमाने के साथ अब गैस चूल्हा में भी खीर बनाया जाने लगा है. प्रसाद बनाने के लिए चूल्हे में आम की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है. इसमें दूसरे पेड़ों की लकड़ियों का उपयोग नहीं किया जाता है.
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खरना का प्रसाद ग्रहण करने के ये हैं नियम
खरना के दिन जब व्रती शाम में पूजा और प्रसाद ग्रहण कर रहे होते हैं, उस समय घर में पूरी शांति रखी जाती है. क्योंकि माना जाता है कि आवाज होने पर व्रती प्रसाद खाना बंद कर देती हैं. इस दिन घर के सभी सदस्य व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही उनसे प्रसाद लेते है.
छठ महापर्व चार दिनों का त्योहार
छठ का पर्व चार दिनों का होता है. यह पर्व नहाय खाय से शुरु होता है. दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन शाम को अर्घ्य और चौथे दिन सुबह अर्घ्य देकर पारण किया जाता है. पहला अर्घ्य इस साल 30 अक्टूबर को है. इस दिन सूर्यास्त 05 बजकर 34 मिनट में होगा. 31 अक्टूबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा. इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 27 मिनट पर होगा. इस तरह पारण के साथ छठ महापर्व का समापन होता है.
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