Kharsawan : उद्योग विभाग के हस्तकरघा, रेशम व हस्तशील्प के अंतर्गत राज्य के विभिन्न अग्र परियोजना केंद्रों में आउट सोर्सिंग में कार्य कर रहे कार्यरत परियोजना सहायकों की नियुक्ति के दस साल बाद भी मानदेय में बढ़ोतरी नहीं हुई है. इस कारण उन्हें आर्थिक परेशानियों से जूझना पड़ रहा है. बताया गया कि 2012-13 में नियुक्ति हुई थी. खरसावां के अग्र परियोजना केंद्र में कार्यरत परियोजना सहायक रजनीश कुमार ने बताया कि करीब 10 साल पूर्व उद्योग विभाग के द्वारा रेशम दूत सर्टिफिकेट कोर्स का विज्ञापन निकाला गया था, जिसमें परीक्षा व साक्षात्कार के बाद उन लोगों का चयन किया गया था. परियोजना सहायकों ने बताया कि करीब 10 साल तक कार्य करने के बाद भी उनके मानदेय में वृद्धि नहीं की गयी है. उद्योग विभाग द्वारा दस हजार का मानदेय दिया जाता है, परंतु आउट सोर्सिंग कंपनी के माध्यम से उन्हें सात 936 रुपये मिलता है. इन्हें नियमित रुप से मानदेय भी नहीं मिलता है. इतनी कम राशि में गुजारा करने में भी परेशानी होती है.
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ऐसे में उनकी स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. पिछले दिनों परियोजना सहायकों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंप कर मानदेय बढ़ाने की मांग की थी. इस दिशा में अब तक कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई. बताया गया कि वर्ष 2008-10 में 626 टन तसर कोसा का उत्पादन होता था, जो आगे बढ़ कर 2600 टन हो गया. आउट सोर्सिंग कंपनी कभी तीन माह तो कभी छह माह बाद वेतन देती है. इस कारण उनके सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है. परियोजना सहायक मानसी डुंगडुंग, लखाई महतो, डोमन कुम्हार, ममता बानरा, रजनीश कुमार, गुलफराज आलम आदि ने सरकार से मानदेय में वृद्धि करने की मांग की है.