Khunti: आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल की जाती है. उन्हें पोषाहार दिया जाता है. इसके संचालन के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों में सेविकाएं होती हैं. लेकिन पिछले कुछ समय से खूंटी की इन सेविकाओं के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया. उन्हें जनवरी माह से मानदेय नहीं मिला है. वे आर्थिक तंगी से जूझ रहीं हैं. वास्तविक स्थिति की जानकारी लेने लगातार मीडिया की टीम फील्ड में उतरी. टीम सेविकाओं से बात कर उनकी समस्याओं को सामने लायी.
खूंटी के खूंटीटोला की आंगनबाड़ी सेविका संगीता कुमारी ने कहा कि उन्हें जनवरी से मानदेय नहीं मिला है. घर चलाना मुश्किल हो गया है. बच्चों का स्कूल फीस भरना मुश्किल हो गया है. पहले प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते थे. लेकिन अब दिक्कत हो रही है. कहा कि दो बेटियां हैं. घर में कमाने वाला और कोई नहीं है. आंगनबाड़ी सेविकाओं को वैसे भी पहले से ही समय पर मानदेय कभी नहीं मिलता था.
कहा कि हालात को देखते हुए घर में गाय और बकरी पाल ली है. फिलहाल गाय का दूध बेच कर किसी तरह गुजारा हो रहा है. घर में ठीक से भोजन भी नहीं हो पा रहा है. महंगाई बढ़ गयी है. इसलिए माड़ भात खा कर गुजारा कर रहे हैं. सरकार सेविकाओं से ही बीएलओ का भी काम करा रही है. इसलिए कुछ और काम भी नहीं कर सकती हैं. हमारी समस्याओं को गंभीरता से लेने की जरूरत है. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए.
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