Kiriburu (Shailesh Singh) : दुर्गम क्षेत्र विशेष भत्ता (दासा) को लेकर झारखंड ग्रुप ऑफ माइंस के सभी खदानों के सेलकर्मी नाराज हैं. एनजेसीएस की बैठक में भी इस पर चर्चा नहीं हो रही है. 19 जुलाई को एनजेसीएस की होने वाली बैठक में इस पर चर्चा हो. उक्त बातें झारखंड मजदूर संघर्ष संघ किरीबुरु के महामंत्री राजेन्द्र सिंधिया ने कही है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने दुर्गम क्षेत्र में कार्य करने वाले कर्मचारियों को दासा के रूप में बेसिक का 10 फीसदी भुगतान करने का आदेश दिया है. इसे परिवर्तन करने अथवा निरस्त करने का अधिकार सिर्फ सरकार के पास है. सरकार ने सीपीएसई में कार्य करने वाले कर्मचारियों के दासा को निरस्त करने अथवा परिवर्तन करने का कोई आदेश जारी नहीं किया है.
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आठ फीसदी भुगतान सरासर गलत : महामंत्री
उन्होंने कहा कि डीपीई ने जिस मेमोरेंडम का जिक्र अपने आदेश में जारी किया है, वह डीऐई के मेमोरेंडम से लिया गया है. साथ ही खंड-आठ के अनुसार कर्मचारियों को परिवर्तित वेतन का 10 फीसदी भुगतान करने का प्रावधान रखा गया है. लेकिन सेल प्रबंधन इसे परवर्तित कर आठ फीसदी भुगतान कर रहा है, जो सरासर गलत और सरकार द्वारा जारी आदेश का भी उल्लंघन है. खदान कर्मियों को सही भुगतान करने में सेल प्रबंधन की आना-कानी एनजेसीएस के सदस्यों की मानसिकता पर सवालिया निशान पैदा करता है. इस पर चर्चा कर तुरंत खदान कर्मचारियों को 10 फीसदी दासा का भुगतान करने की मांग झारखंड मजदूर संघर्ष संघ किरीबुरु करता है, ताकि खदान क्षेत्र मे शांति पूर्ण वातावरण बनी रहे.
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श्रमिक संगठनों को भी मिले नजेसीएस में प्रतिनिधित्व
उन्होंने कहा कि एक तरफ सेल की बीएसएल प्रबंधन कहती है कि खदान हमारा परिवार है, इसके बिना हम अधूरे हैं. लेकिन दूसरी ओर खदान को मिलने वाले अधिकार पर कोई बात करना नहीं चाहता. खदान कर्मियों संग ये दोहरी मापदंड क्यों. बिना चुनाव जीते श्रमिक संगठन एनजेसीएस का पार्ट हो सकता है, तो खदान क्षेत्र के श्रमिक संगठनों को भी एनजेसीएस में प्रतिनिधित्व मिले. अथवा सभी यूनिट में चुनाव कर रिकॉग्निशन श्रमिक संगठनों को एनजेसीएस में स्थान दें. नॉन एनजेसीएस श्रमिक संगठनों को भी एनजेसीएस में भाग लेने का प्रावधान बनाए. स्वतंत्र भारत में सभी को अपनी समस्या बैठक में रखने का अधिकार है. सेल प्रबंधन तुरंत इस पर कदम उठाये.
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