Kiriburu : नक्सल प्रभावित सारंडा के दर्जनों गांवों के लगभग 100 स्कूली आदिवासी व गरीब बच्चे सेल की किरीबुरु प्रबंधन द्वारा स्कूल बस उपलब्ध नहीं कराये जाने की वजह से स्कूल जाने से वंचित है. इससे बच्चों का शिक्षा पूरी तरह से प्रभावित हो गई है. बच्चों के अभिभावकों ने लगातार न्यूज को बताया कि मार्च महीने में बोर्ड समेत सभी कक्षा की परीक्षा संचालित होगी. ऐसे में बच्चे जब पढे़ंगे नहीं तो पास कैसे होंगे. अभिभावकों को यह भी चिंता है कि अगर बस नहीं चली तो हमारे बच्चे लगभग 20-30 किलोमीटर दूर ऊंची पहाड़ी पर स्थित किरीबुरु-मेघाहातुबुरु के विभिन्न स्कूलों में परीक्षा देने कैसे जा पायेंगे. उल्लेखनीय है कि सेल की किरीबुरु खदान प्रबंधन सारंडा के करमपदा, नवागांव, भनगांव, कलैता, चेरवालोर, जुम्बईबुरु, धर्नादिरी, बालेहातु, थोलकोबाद आदि गांवों के बच्चों को उक्त क्षेत्र से किरीबुरु-मेघाहातुबुरु स्थित स्कूलों में पढ़ने आने व पहुंचाने हेतु सीएसआर योजना के तहत दो बस संचालित कराती है. इसके लिये हर साल निविदा निकाल बसों को भाडे़ पर लिया जाता है. जिससे बच्चे नियमित स्कूल आना-जाना करते थे. लेकिन 4 फरवरी से जबसे स्कूल खुला है तब से बस संचालक ने दोनों बसों को चलाना बंद कर दिया है.
प्रबंधन कोरोना काल का पैसा नहीं दे रहा
बस संचालक रामाशीष गुप्ता ने बताया कि सेल प्रबंधन एक वर्ष के लिये बस निविदा के द्वारा निर्धारित भाड़ा के तहत लेती है. हमने नया बस फाईनेंस कराकर मार्च 2020 से 2022 के जनवरी माह तक दिया. इस दौरान कोरोना की वजह से स्कूल लंबे समय तक बंद रही. लेकिन प्रबंधन का कहना है कि जितना दिन बस चला है उतना दिन का ही पैसा देगा. वह पूरे वर्ष का पैसा नहीं देगी तो उसका किश्त व चालक-खलासी का वेतन कहां से देंगे. कंपनी प्रबंधन को इसके लिये कई बार पत्र लिखे, ताकि वह बंदी के दौरान का सारा पैसा का भुगतान करे, लेकिन वह नहीं कर रही है. ऐसी स्थिति में हम बस चलाने में सक्षम नहीं हैं. दूसरी और उक्त सड़क इतनी खराब है कि हमेशा दुर्घटना की संभावना व वाहनों का मेंटेनेंस खर्च बढ़ा रहता है. फिर भी प्रबंधन हमारा कोरोना काल का पूरा बकाया पैसे का भुगतान नहीं कर रही है.
बस चली नहीं तो प्रबंधन क्यों दे पैसा : वरिष्ठ प्रबंधक
इस मामले को लेकर सेल किरीबुरु के वरिष्ठ प्रबंधक रमेश सिन्हा ने बताया कि कोरोना और जर्जर ग्रामीण सड़क की वजह से यह समस्या उत्पन्न हुई है. कोरोना के दौरान बस नहीं चली तो पैसा क्यों दें. दूसरी तरफ एक बस की नयी निविदा व एक बस का समय विस्तार करने की प्रक्रिया जारी है. खराब सड़क की वजह से नये पार्टी निविदा में शामिल नहीं हो पा रही है. इस समस्या का समाधान जल्द किया जायेगा.