Kiriburu (Shailesh Singh) : सारंडा रिजर्व वन के लीज क्षेत्र में आर्सेलर मित्तल कंपनी ने खनन कार्य शुरू कर दिया है. किरीबुरु-बड़ाजामदा मुख्य सड़क मार्ग के दोनों तरफ लगभग 300 हेक्टेयर रिजर्व वन भूमि को खनन के लिए वर्षों पूर्व लीज पर दिया गया था. लीज क्षेत्र अन्तर्गत वन भूमि पर सखुआ और विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों की गणना व मार्किंग कर उसकी कटाई कंपनी ने शुरू कर दी है. आर्सेलर मित्तल के लीज क्षेत्र में हीं सारंडा का ऐतिहासिक प्राकृतिक प्रोस्पेक्टिंग झरना एवं ससंग्दा (किरीबुरु) रेंज कार्यालय एवं गेस्ट हाउस है. वन विभाग अपने कार्यालय व करोड़ों रूपये की लागत से बने गेस्ट हाउस को बचाने के प्रयास में लगी है.
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लोगों को रोजगार मिलेगा
आर्सेलर मित्तल की खदान प्रारम्भ होने से सारंडा के सैकड़ों लोगों को स्थायी अथवा अस्थायी रुप से नौकरी व रोजगार प्राप्त होगा. अधिकतर लोग चाहते हैं कि सारंडा की बंद पड़ी खदानों के साथ कुछ नयी खदानों को खोला जाना चाहिये ताकि यहां से पलायन रुके. लेकिन सारंडा की प्राकृतिक वन सम्पदा और जल श्रोतों को नुकसान पहुंचाये बगैर.आर्सेलर मित्तल खदान पहाड़ी पर पेड़-पौधों को काटती है तो सबसे ज्यादा प्रभावित प्रोस्पेक्टिंग झरना ही होगी. झरने के पानी से सारंडा के कुमडीह, होंजोरदिरी, टोंटोगड़ा, झाड़बेड़ा आदि गांवों के ग्रामीण पेयजल के लिए निर्भर है. यहां खनन शुरू होने से यह प्राकृतिक जल श्रोत लगभग सुख जायेगा. इससे लोगों के सामने पेयजल संकट उत्पन्न हो जाएगा. ऐसी स्थिति में आर्सेलर मित्तल को प्रोस्पेक्टिंग झरना को बचाते हुये खनन गतिविधियां प्रारम्भ करना होगा ताकि इस झरने पर निर्भर विभिन्न गांवों के ग्रामीण, वन्यप्राणियों, पेड़-पौधों आदि को लंबे समय तक किसी प्रकार की जल समस्या का सामना करना नहीं पडे़.
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