Kiriburu (Shailesh Singh) : पेसा कानून झारखंड में सरकार की गलत नीतियों व भ्रष्टाचारी अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की वजह से धरातल पर आज तक नहीं उतर पायी है. उक्त बातें पर्यावरण प्रेमी सह आदिवासी समन्वय समिति के संयोजक सुशील बारला ने कही. उन्होंने कहा कि यह कानून वर्ष 1996 में तब बना जब झारखंड अलग राज्य भी नहीं बना था. यह कानून अनुसूचित क्षेत्र के राज्यों व वहां के निवासियों को ग्रामसभा को सशक्त बनाकर अनेक लाभ व शक्ति देने के लिये बनाया गया है. दुर्भाग्य की बात है कि पेसा कानून के रहते हुये केन्द्र सरकार वन संरक्षण संशोधन विधेयक-2023 लाकर पूंजीपति घरानों को लाभ पहुंचाने हेतु अनुसूचित क्षेत्र के लोगों का जल, जंगल और जमीन पर से अधिकार छीनने का कार्य कर रही है.
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पेसा कानून के रहते हुये आज तक सरकार वनों में रहने वाले लोगों को वनाधिकार का पट्टा तक नहीं दे पायी. सारंडा जैसे अनुसूचित क्षेत्र में आज तक इस कानून के तहत ग्रामसभा को सशक्त नहीं बनाया गया. ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिये सरकार व विभागीय पदाधिकारी अपनी मनमर्जी से कार्यालय में बैठ योजना बनाते एवं फर्जी तरीके से ग्रामसभा कराकर योजनाओं को भारी भ्रष्टाचार की बुनियाद पर अधूरा उतारते हैं. उन्होंने कहा कि अनुसूचित क्षेत्र में पेसा कानून के जरिये वनोत्पाद, जल-जंगल-जमीन, खदानों आदि पर अधिकार, विकास योजनाओं का चयन से लेकर उसे धरातल पर उतारने आदि का अधिकार ग्राम सभा को मिलना चाहिए. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो रहा है जो दुःखद है.