Kiriburu (Shailesh Singh) : सूर्य उपासना व आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा का शुभारम्भ नयाय-खाय के साथ शुक्रवार से हो गया. छठ पर्व के दौरान छठव्रती को लगभग 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखना होता है. हिन्दू पंचांग के मुताबिक हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का दिन नहाय-खाय का होता है. छठ पूजा के दौरान छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा की जाती है. इस पर्व को संतान के लिए रखा जाता है. कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि को पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद व्रत का पारण यानि समापन किया जाता है.
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शुक्रवार को नहाय खाय से छठ पूजा की शुरुआत हुई. इस दिन व्रती घर में स्नान करने के बाद प्रसाद खाते हैं. इस दिन छठ व्रती सिर्फ एक ही बार खाना खाते हैं. नहाय-खाय वाले दिन महिलाएं घर की साफ-सफाई करने के बाद लौकी या कद्दू की सब्जी व भात (चावल) बनाती नजर आयीं. इस दौरान तैयार प्रसाद में सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है. नहाय खाय के दिन बने प्रसाद में लहसुन-प्याज का इस्तेमाल वर्जित है. इसके अलावा बैंगन आदि सब्जियों को भी नहाय-खाय के दिन प्रसाद में शामिल नहीं किया जाता. छठ व्रती प्रसाद बनाने के बाद पहले भगवान सूर्य की अराधना करने के बाद नहाय खाय का प्रसाद ग्रहण किया. छठ व्रती के प्रसाद ग्रहण के बाद ही परिवार के अन्य सदस्य प्रसाद ग्रहण करते हैं.