Kiriburu (Shailesh Singh) : सेल की चिड़िया खदान प्रबंधन अपने खदान से प्रभावित सारंडा के गांवों के साथ आखिर सौतेला व्यवहार क्यों कर रही है. यह सवाल छोटानागरा, दुबिल आदि गांवों के ग्रामीण उठा रहे हैं. इन गांवों के ग्रामीण भी चिड़िया खदान प्रबंधन से सारी सुविधाओं से लैस चलंत चिकित्सा वाहन सीएसआर गांवों में चलाने की मांग कर रहे हैं. उल्लेखनीय है कि 27 नवम्बर को सेल की किरीबुरु-मेघाहातुबुरु प्रबंधन ने खदान से प्रभावित 12 गांवों एवं गुवा प्रबंधन ने 18 गांवों के ग्रामीणों का इलाज हेतु सारी सुविधाओं से लैस चलंत चिकित्सा वाहन प्रारम्भ की है. इस वाहन में रक्त जांच, ईसीजी आदि सुविधा है.
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एम्बुलेंस में चिकित्सक, फार्मासिस्ट, लैब तकनीशियन, एएनएम आदि जरूरी दवाओं के साथ मौजूद रहते हैं. वे सुदूरवर्ती गांवों में जाकर ग्रामीण मरीजों का इलाज कर जरूरी दवाइयां दे रहे हैं. इससे सारंडा के गांवों में रहने वाले ग्रामीणों को अब अस्पताल आने की समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा है. इस चिकित्सा सुविधा के प्रारम्भ होने से सारंडा के ग्रामीणों में अंधविश्वास की प्रथा में भारी कमी आयेगी. पहले पैसा व आवागमन की असुविधा की वजह से सारंडा के सुदूरवर्ती गांवों के ग्रामीण मरीज इलाज कराने अस्पताल नहीं जा पाते थे. गांव में ही झाड़-फूंक, पूजा-पाठ का सहारा लेकर मौत को गले लगा लेते थे.
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इन्हीं वजहों से अब चिड़िया खदान से प्रभावित गांवों के ग्रामीण भी अब सेल प्रबंधन से मांग कर रहे हैं कि यहां भी चलंत चिकित्सा वाहन सुविधा जल्द शुरू की जाए. छोटानागरा पंचायत की मुखिया मुन्नी देवगम, सारंडा पीढ़ के मानकी लागुड़ा देवगम, छोटानागरा के मुंडा बिनोद बारीक आदि ने सेल प्रबंधन की तारीफ करते हुये कहा कि अब तक के इतिहास में सेल प्रबंधन ने चलंत चिकित्सा वाहन सारंडा के लगभग 30 गांवों में शुरू कर अच्छा काम किया है.