Kiriburu : सीआईएसएफ की किरीबुरु-मेघाहातुबुरु इकाई के उप समादेष्टा मनजीत कुमार के नेतृत्व में गुरुवार को मेघाहातुबुरु स्थित सीआईएसएफ कार्यालय प्रांगण में पुलिस स्मृति दिवस मनाया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ सीआईएसएफ जवानों ने शहीद जवानों की याद में तख्तियां लेकर विशेष संदेश देते हुए जागरूकता प्रभात फेरी निकाल कर किया गया. तत्पश्चात कार्यालय प्रांगण में बनाई गई शहीद बेदी पर उप समादेष्टा मनजीत कुमार, इन्स्पेक्टर आर बी चौधरी, इन्स्पेक्टर के आर मीणा, आदि अधिकारी व जवानों से श्रद्धा सुमन व पुष्प अर्पित कर उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि दी.
1959 में तिब्बत सीमा पर शहीद हुए 10 जवानों की याद में मनाया जाता है पुलिस स्मृति दिवस
जवानों को संबोधित करते हुए उप समादेष्टा मनजीत कुमार ने कहा कि 21 अक्तूबर 1959 को जब 10 जवानों ने अपना बलिदान दिया था. तब तिब्बत के साथ भारत की 2,500 मील लंबी सीमा की निगरानी की जिम्मेदारी भारतीय सीमा पर तैनात जवानों की थी. इस घटना से एक दिन पहले 20 अक्टूबर, 1959 को तीसरी बटालियन की एक कंपनी को उत्तर पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स नाम के स्थान पर तैनात किया गया था. इस कंपनी की 3 टुकड़ियों में बांटकर सीमा सुरक्षा की बागडोर दी गई थी. लाइन ऑफ कंट्रोल में ये जवान गश्त के लिए निकले. आगे गई दो टुकड़ी के सदस्य उस दिन दोपहर बाद तक लौट आए. लेकिन तीसरी टुकड़ी के सदस्य नहीं लौटे. अगले दिन फिर सभी जवानों को इकट्ठा किया गया और गुमशुदा लोगों की तलाश के लिए एक टुकड़ी का गठन किया गया. गुमशुदा हो गए पुलिसकर्मियों की तलाश में एक टुकड़ी 21 अक्टूबर 1959 को सीमा के लिए निकली. इस टुकड़ी में करीब 20 पुलिसकर्मी शामिल थे. सैनिकों को 3 टुकड़ियों में बांट दिया गया था. तभी दोपहर के समय चीन के सैनिकों ने एक पहाड़ी से गोलियां चलाना और ग्रेनेड्स फेंकना शुरू कर दिया. तब उस हमले में देश के 10 वीर जवान शहीद हो गए थे. उन्हीं शहीदों के सम्मान में हर साल 21 अक्टूबर को नेशनल पुलिस डे या पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है.
जीवन के प्रति लापरवाह नहीं बनें, अनुशासित रहें
उन्होने कहा कि देश व मातृभूमि की रक्षा के साथ-साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहण करते हुए जब हम शहीद होते हैं तो पूरे देशवासियों, परिवार व विभाग को गर्व महसूस होता है. लेकिन आप लापरवाही से बिना सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल कर अपनी गलती से सड़क दुर्घटना का शिकार होकर मौत को गले लगाते हैं तो यह काफी गलत व पिड़ादायी होता है जिसे कोई याद नहीं रखता. आप लापरवाह न बनें बल्कि अनुशासित होकर कार्य करें क्योंकि आप जिससे प्यार करते हैं वह परिवार आपकी लापरवाही से हुई मौत के बाद काफी परेशानियों के दौर से गुजरता है.