Kiriburu (Shailesh Singh): पश्चिम सिंहभूम के नक्सल प्रभावित सारंडा, कोल्हान एवं पोड़ाहाट के जंगलों में नक्सलियों से लोहा ले रहे सीआरपीएफ के जवानों ने अपने खानपान में परिवर्तन किया है. इसके तहत अब वे गेहूं की रोटी के अलावे अपने आहार में मडुवा, ज्वार एवं बाजरा को विशेष रूप से शामिल कर रहे हैं. यह परिवर्तन मुख्यतः दो कारणों से किया है. पहला यह कि उनका स्वास्थ्य ठीक रहे एवं वह विभिन्न प्रकार के बीमारियों से बच सकें. दूसरा यह की मडुवा, ज्वार एवं बाजरा की मांग बढ़ने से सारंडा, कोल्हान व पोड़ाहाट क्षेत्र के किसानों को फायदा हो और वह उक्त अनाज की बडे़ पैमाने पर खेती कर आर्थिक उन्नति की ओर अग्रसर हो सकें.
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स्थानीय किसानों को मिलेगा इसका लाभ
पिछले कुछ महीनों से सारंडा स्थित विभिन्न कैंप में तैनात सीआरपीएफ जवान अब बडे़ पैमाने पर मडुवा, ज्वार एवं बाजरा की पिसाई स्थानीय चक्की में करा रहे हैं. इन अनाज का सेवन वह नियमित खाने में कर रहे हैं. यह अनाज तमाम प्रकार के रोगों के लिये जहां काफी लाभप्रद है, वहीं इससे शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है. यह अनाज आसानी से पचता भी है. पश्चिम सिंहभूम के सारंडा, कोल्हान व पोड़ाहाट के सुदूरवर्ती नक्सल प्रभावित जंगल गांवों के गरीब किसान वर्षों से मडुवा, ज्वार एवं बाजरा की खेती करते आ रहे हैं. लेकिन क्षेत्र के लोग इन अनाजों का इस्तेमाल खाने में काफी कम करते हैं, जिससे उन्हें बेहतर बाजार नहीं मिल पाता था. लेकिन अब सीआरपीएफ जवानों की वजह से उक्त अनाजों की मांग बढ़ने से यहां के किसान इसकी खेती बडे़ पैमाने पर कर आर्थिक उन्नति की ओर अग्रसर होंगे. यह भी संभव है कि अन्य जनता भी निरंतर बढ़ रही विभिन्न प्रकार की बीमारियों को देखते हुए इन अनाजों का सेवन नियमित करना प्रारंभ कर दे.