Kiriburu : किसी भी चुनाव में शायद पहला ऐसा अवसर होगा जब कोल्हान डीआईजी अजय लिंडा और चाईबासा एसपी आशुतोष शेखर जिला मुख्यालय को छोड़ चुनाव के दिन नक्सल प्रभावित घने जंगलों में डेरा डालकर मॉनिटरिंग कर रहे थे. विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दूसरे चरण का मतदान 19 मई को था. दूसरे चरण का अधिकतर मतदान केन्द्र घोर नक्सल प्रभावित सारंडा और कोल्हान के सुदूरवर्ती जंगल क्षेत्रों में स्थित था. पुलिस को आशंका थी कि नक्सलियों का एक बड़ा दस्ता कोल्हान जंगल के कुछ मतदान केन्द्रों पर बाधा डाल सकते हैं. इसके अलावे सारंडा जंगल स्थित कुछ मतदान केन्द्रों अथवा मतदान कर्मियों को केन्द्र तक पहुंचाने व वापस लाने के दौरान हमला की योजना बना सकते हैं.
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इन सब स्थितियों को गंभीरता से लेते हुये पूरी योजना के साथ कोल्हान डीआईजी अजय लिंडा सारंडा जंगल में और पुलिस अधीक्षक आशुतोष शेखर कोल्हान जंगल में 18 मई से ही कैंप कर रहे थे. सूत्रों ने बताया कि अजय लिंडा सारंडा जंगल के सैडल स्थित गोरखा बटालियन के कैंप में और पुलिस अधीक्षक आशुतोष शेखर जेटेया क्षेत्र के जंगलों से पुलिस, सीआरपीएफ आदि टीम को निरंतर निर्देश दे रहे थे. इस दौरान अजय लिंडा और आशुतोष शेखर ने अपने-अपने क्षेत्र के संवेदनशील बूथों पर जाकर भी मतदाताओं व पुलिस टीम का हौसला बढ़ाया. जब तक सभी मतदान कर्मी को पुलिस टीम नक्सल प्रभावित बूथों से सुरक्षित अपने-अपने क्षेत्र में नहीं पहुंचा दी तब तक दोनों पदाधिकारी जंगल में ही अपनी टीम के साथ डटे रहे. इस चुनाव में नक्सली एक भी प्रचार वाहन तक को आग लगाने जैसी घटना को अंजाम नहीं दे सके, जबकि हर चुनाव में कुछ न कुछ छोटी-बड़ी घटना को वे अंजाम देते थे.