Shailesh Singh
Kiriburu: झारखंड का लौहांचल कहे जाने वाले पश्चिम सिंहभूम जिले के नोवामुंडी, बड़ाजामदा, गुवा, डांगुवापोसी, किरीबुरु, मेघाहातुबुरु, करमपदा आदि के अलावे ओडिसा के बड़बिल, बोलानी, जोड़ा, बांसपानी आदि क्षेत्रों से रेलवे प्रति माह अरबों रुपये का राजस्व लौह अयस्क की ढुलाई से कमा रही है. लेकिन इन क्षेत्रों के लोगों के लिये यात्री सुविधाओं के नाम पर एकमात्र बड़बिल-हावड़ा जन शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन महत्वपूर्ण रूप से चल रही है. इसमें भी सबसे तकलीफ व परेशान करने वाली बात इस ट्रेन में सफर करने के बाद अर्थात लौह चूर्ण व धूल से खेल कपड़ा व शरीर का गंदा हो जाना है. इस ट्रेन से सफर करने वाले दर्जनों यात्रियों ने यह शिकायत लगातार न्यूज से की.
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बोगी के अंदर उड़कर आ जाता है पटरियों पर गिरा लौह चूर्ण
ओडिसा के बड़बिल व झारखंड के बड़ाजामदा, नोवामुंडी, डांगुवापोसी क्षेत्र से प्रतिदिन दर्जनों मालगाड़ी लौह अयस्क चाईबासा के रास्ते विभिन्न शहरों में स्थित स्टील प्लांटों में भेजी जाती है. मालगाड़ी से लौह चूर्ण ढुलाई के दौरान रेल पटरियों पर निरंतर गिरते रहते हैं. हाल यह हो गया है कि जब इसी रूट से उक्त जनशताब्दी ट्रेन अपनी रफ्तार जैसे-जैसे पकड़ती है, वैसे-वैसे पटरियों पर गिरा लौह चूर्ण उड़कर डिब्बों के अंदर प्रवेश कर लोगों को धूल से भर दे रही है.
खाली सीटों से लेकर समान रखने वाले स्थानों पर धूल की परत
एसी बोगी में तो इस धूल का असर नहीं होता है, लेकिन सामान्य कोच में यात्रा करने वाले यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना प्रतिदिन करना पड़ रहा है. कोच के खाली सीटों से लेकर समान रखने वाले स्थानों पर धूल की मोटी परत बैठी रहती है. इसकी साफ-सफाई नहीं की जाती. बड़बिल स्टेशन से ट्रेन खुलने के बाद जब विभिन्न स्टेशनों पर यात्री अपनी सीट पर बैठते ही उनके कपड़े व बैग गंदे हो जाते हैं.
इस प्रमुख रेल मार्ग का सिर्फ माल ढुलाई की दृष्टिकोण से विकास कर रही है रेलवे
चक्रधरपुर रेल डिवीजन अंतर्गत इस प्रमुख रेल मार्ग का रेलवे सिर्फ माल ढुलाई की दृष्टिकोण से विकास कर रही है. यात्री सुविधाओं के नाम पर बड़ाजामदा जैसे स्टेशन पर बेहतर यात्री शेड तक नहीं है ताकि वर्षा व धूप से लोग बच सकें. शौचालय, प्रतीक्षालय, पेयजल आदि की सुविधा की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. गर्मी के समय इस ट्रेन में ठंडा पानी तक की व्यवस्था नहीं है. ट्रेन में कैटरिंग करने वालों द्वारा हर बार यही कहा जाता है कि कैटरिंग का ठेका बदलने वाला है इसलिये पानी को ठंडा करने के लिये इस्तेमाल किया जाने वाला बर्फ ठेकेदार नहीं मंगाता है.
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