Kiriburu (Shailesh Singh) : पश्चिम सिंहभूम जिला अन्तर्गत टोंटो व गोईलकेरा सीमांत कोल्हान रिजर्व वन क्षेत्र के घने जंगल व पहाड़ों पर भाकपा माओवादी नक्सलियों एवं पुलिस-अर्द्ध सैनिक बलों के बीच जंग रोचक दौर में पहुंच चुका है. पुलिस पिछले लगभग दो माह से नक्सलियों की मजबूत घेराबंदी कर एक सीमित जंगल क्षेत्र में करने की प्रयास में लगी है. इस कार्य में पुलिस को काफी परेशानी भी उठानी पड़ रही है. क्योंकि नक्सली विभिन्न जंगल व रास्तों पर हजारों की तादाद में लैंड माइन, बूबी ट्रैप, प्रेसर बम लगा दिये हैं और समय-समय पर उसे बलास्ट कर पुलिस को आगे बढ़ने से रोक रहे हैं.
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पुलिस जंगल के जल श्रोतों पर कर रही है कब्जा

पुलिस व नक्सली विभिन्न ग्रुपों में बंट कर कोल्हान जंगल के विभिन्न पहाड़ियों पर बिल्कुल आमने-सामने व करीब हैं. पुलिस वर्तमान में नक्सलियों का सम्पर्क ग्रामीणों से पूरी तरह से काटने की रणनीति पर कार्य कर रही है. क्योंकि नक्सल प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण नक्सलियों के आदेशानुसार उन्हें खाद्यान्न सामग्री व जरुरत की समान उन्हें निरंतर उपलब्ध कराते रहते हैं. अगर यह सम्पर्क कट जायेगा तो नक्सलियों को खाद्यान्न से जुड़ी समस्या उत्पन्न होगी. इसके अलावे पुलिस जंगल के तमाम जल श्रोतों वाले क्षेत्रों पर धीरे-धीरे अपना पकड़ मजबूत कर रही है. ताकि नक्सलियों को पानी की समस्या से जूझना पडे़. पानी लेने वह पहाड़ों से जलश्रोतों की तरफ नहीं आ सके. नक्सलियों तक हथियार-रसद पहुंचने के सारे रास्ते बंद कर उसे पुरी तरह से कमजोर करने में लगी है. यह लंबी व पूरी प्लानिंग के तहत लड़ाई पुलिस लड़ रही है. ताकि स्थायी रूप से इस जंगल को नक्सल मुक्त किया जा सके.
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वनोत्पाद खा कर नक्सली करते है गुजारा
दूसरी तरफ कोल्हान के जंगल में स्थित वनोत्पाद नक्सलियों के लिये जीने का एक बड़ा सहारा भी बना हुआ है. कोल्हान रिजर्व वन क्षेत्र के ग्रामीणों ने बताया की देश में कहीं भी अकाल पड़ जाये तो वहां के लोग भूखे मर सकते हैं लेकिन यहां के जंगल में रहने वाले लोग अथवा नक्सली किसी भी परिस्थिति में वह भूखे नहीं मर सकते हैं. इसका मुख्य कारण है जंगल में मिलने वाले तरह-तरह के कंदमूल, फल, साग, पत्तें आदि. नक्सली इस विकट स्थिति में जंगल के इसी वनोत्पाद को खाकर अपना पेट भरते रहते है. सारंडा में लगभग एक महीने तक चली ऑपरेशन ऐनाकोंडा के दौरान नक्सली नेता समर जी ने बताया था कि हम आदिवासी जंगल में रहते हैं एंव जंगल की सैकड़ों चीजें, कंद मूल आदि हमारा अहार होता है जिसकी पहचान हमारे सभी साथी को है. हम बिना खाद्यान्न के वनोत्पाद खाकर महीनों जीवित रहते हुये लड़ाई लड़ सकते हैं.

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फोटोः- टोंटो- गोईलकेरा सीमांत जंगल स्थित नक्सली कैंप से पूर्व में बरामद खाने में इस्तेमाल जंगल के पत्ते, प्लास्टिक में ऐसे पानी संग्रह करने की फाईल तस्वीरें।