Kiriburu : चक्रधरपुर के विधायक सह झामुमो जिलाध्यक्ष सुखराम उरांव के नेतृत्व में टाटा स्टील की नोवामुंडी और बराईबुरु में टीएसएलपीएल खदान का गेट सुबह छह बजे से जाम कर दिया गया है. झामुमो टाटा कमिंस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा अपना कार्यालय जमशेदपुर से महाराष्ट्र के पुणे में स्थानांतरित करने के प्रस्ताव सहित टाटा समूह द्वारा झारखंड के हितों की उपेक्षा का विरोध किया जा रहा है. यह गेट जाम शाम छह बजे तक रहेगा. विधायक सुखराम उरांव सहित राहुल आदित्य आदि नेता अपने सैकड़ों कार्यकर्त्ताओं के साथ 16 नवंबर की शाम से ही नोवामुण्डी स्थित टाटा स्टील के गेट पर तंबू डाल व अलाव जलाकर बैठ गए थे. आज सुबह छह बजे से ही दोनों खदानों का गेट झामुमो कार्यकर्ताओं ने जाम कर दिया. किसी को भी खदान के अंदर और बाहर आने-जाने नहीं दिया जा रहा है. बराईबुरु स्थित टीएसएलपीएल खदान गेट पर प्रेम गुप्ता, रीम बहादुर, अशोक दास, आलोक अजय तोपनो, शंकर बोबोंगा, शेख मुख्तार उर्फ पप्पू, शमशाद आलम आदि नेताओं के नेतृत्व में कार्यकर्ता जाम किए हुए हैं.
टीएसएलपीएल में 15 हजार टन लौह अयस्क उत्पादन होगा प्रभावित
नेताओं ने टीएसएलपीएल प्रबंधन को चेतावनी दी कि खदान के अंदर एक भी कर्मचारी रहा और उत्पादन हुआ तो अंजाम बुरा होगा. इसके बाद खदान गए सारे कर्मचारियों और अधिकारियों को वापस भेज दिया गया. आज की बंदी से सिर्फ टीएसएलपीएल खदान प्रबंधन को लगभग 10-15 हजार टन लौह अयस्क का उत्पादन व लगभग 4 हजार टन डिस्पैच प्रभावित होने का अनुमान है. हालांकि आंदोलन शांतिपूर्ण चल रहा है. वहां पुलिस-प्रशासन के उच्च अधिकारी मौजूद हैं. आंदोलन में शामिल कार्यकर्त्ताओं के लिए भोजन बनाया जा रहा है. इस बंदी को लेकर झामुमो के जिलाध्यक्ष सह विधायक सुखराम उरांव ने कहा कि आखिर किन परिस्थितियों में झारखण्ड सरकार से परामर्श लिये बिना या सूचित किये बिना टाटा कमिंस प्राईवेट लिमिटेड ने अपने पंजिकृत कार्यालय को महाराष्ट्र स्थानांतरित करने का निर्णय लिया.
झामुमो की छह सूत्री मांगें
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने मांग की है कि टाटा कमिंस प्राइवेट लिमिटेड का जमशेदपुर स्थित कार्यालय झारखंड से पुणे स्थानांतरित करने का प्रस्ताव तत्काल रद्द किया जाए. पुणे से विद्युत सामाग्री और अन्य सामाग्रियों की खरीद बंद होनी चाहिए. इन वस्तुओं की खरीद यथासंभव आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित इकाइयों से की जाए. जियाडा में स्थापित ईएमसी (इलेक्ट्रिकल मैन्युफैक्चरिंग सेंटर) में स्थानीय उद्यमियों की इकाई को विकसित करने में सहयोग मिलना चाहिए. विस्थापितों के लिए पुनर्वास योजना को तत्काल लागू किया जाना चाहिए, जिसमें शैक्षिक संस्थानों की स्थापना और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं शामिल की जानी चाहिए. टाटा अप्रेंटिशिप में 100 प्रतिशत भर्ती इस क्षेत्र के आदिवासी-मूलवासी की होनी चाहिए. सीएसआर के लिए बजटीय प्रावधानों को सार्वजानिक किया जाए. सीएसआर कार्यक्रमों की उपलब्धि को समय-समय पर जारी किया जाना चाहिए.