Kiriburu (Shailesh Singh) : सारंडा के सुदूरवर्ती गांवों में रहने वाले ‘हो’ आदिवासी समुदाय के लोग टोलियों में दशहरा पर्व के दौरान अपनी पौराणिक ‘दशाए प्रथा’ के तहत पारंपरिक वेष-भूषा व वाद्य यंत्र के साथ नाचते-गाते भिक्षाटन कर रहे हैं. वहीं, गुरुवार को छोटानागरा पंचायत के जोजोगुटू गांव के ग्रामीण भी दशाए प्रथा के तहत विभिन्न प्रकार का मुखौटा लगाए, धोती-साड़ी-लुंगी पहने तथा हाथों में पारम्परिक वाद्य यंत्रों को बजाते मेघाहातुबुरु व किरीबुरू में घूम-घूमकर भिक्षाटन कर रहे हैं.
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कार्यक्रम में शामिल लोगों ने बताया कि नवरात्री में कलश स्थापना के दिन से दशहरा तक हम ऐसे कार्यक्रम पूरे क्षेत्र में चलाते हैं. इस दौरान लोगों से मिलने वाला पैसा, अनाज, सब्जी आदि को इकठ्ठा कर दशहरा के बाद गांव में पारम्परिक पूजा-पाठ व प्रसाद बना लोगों के बीच वितरित करते हैं. ऐसा इसलिए करते हैं ताकि गांव में सुख-शान्ति, समृद्धि, खुशहाली आये, लोग निरोग रहें. दूषित आत्मा व हवा गांव की सीमा में प्रवेश न करे, प्राकृतिक आपदा व महामारी से लोग बचे रहे.
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