Kiriburu (Shailesh Singh) : सारंडा विकास समिति ने सेल की चिड़िया प्रबंधन के साथ हुई वार्ता के बाद 20 मार्च को प्रस्तावित एक दिन की बंदी कार्यक्रम को अगली तिथि तक के लिये स्थगित कर दिया है. उक्त जानकारी समिति के अध्यक्ष सुखराम उर्फ राजू सांडिल एवं सारंडा पीढ़ के मानकी लागुड़ा देवगम ने दी. उन्होंने बताया कि समिति ने अपनी 16 सूत्री मांगों को लेकर 20 मार्च को खदान बंद करने की घोषणा की थी. इसके आलोक में चिड़िया के सीजीएम कमल भास्कर व अन्य अधिकारियों ने वार्ता के लिए बुलाया था. वार्ता में सीजीएम ने खदान के सीएसआर क्षेत्र में कौन-कौन प्रभावित गांव आयेंगे, उसकी जानकारी ली. साथ ही उपायुक्त से बातचीत कर सुनिश्चित कर प्रभावित गांवों में सीएसआर के तहत बुनियादी सुविधाएं व विकास योजनाएं चलाने व बेरोजगारों को रोजगार से जोड़ने का आश्वासन दिया.
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सीजीएम पर झूठ बोलने का लगाया आरोप
राजू सांडिल ने बताया कि सीजीएम ने झूठ बोला था कि खदान की मिट्टी, मुरुम प्रभावित गांवों के रैयत भूमि व प्राकृतिक जल श्रोतों में नहीं जा रही है. जबकि सच्चाई यह है कि दुबिल आदि गांव के सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि इस कारण बंजर हो चुकी है. सीजीएम ने बताया था कि खदान के पत्थर तोड़ने वाले खनिक को डेली वेजेज पर रखने का समझौता मजदूर संगठनों के प्रतिनिधियों ने किया हैं. उन्हें खदान में कार्य दिया जा रहा है.
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जबकि सच्चाई यह है कि खनिकों को साफ-सफाई, सड़क मरम्मति, रेलवे साइडिंग, गेस्ट हाऊस आदि के कार्यों में लागाया गया है. सैकड़ों खनिकों को बिना कारण व नोटिस के काम से हटा भी दिया गया है. उनका फाईनल पैसा, पीएफ, ग्रेच्युटी आदि भी नहीं दिया गया है. राजू सांडिल ने आरोप लगाया कि पिछले 20-30 वर्षों से खदान में एक ही प्राईवेट ठेकेदार को फार्म का नाम बदल-बदल कर काम दिया जा रहा है. उसके द्वारा मजदूरों का शोषण भी किया जाता है. इससे संबंधित मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग उन्होंने की है.