Kiriburu (Shailesh Singh) : वर्ष 2013-14 में ही भाकपा माओवादी नक्सली संगठन का दिरीसुम उर्फ कांडे दा उर्फ कांडे होनहागा पुलिस के समक्ष सरेंडर करना चाहता था. लेकिन, उसके खिलाफ किसी भी थाना में एफआईआर दर्ज नहीं था. इस वजह से पुलिस उसे सरेंडर करवाने में असमर्थ थी. अंततः पुलिस ने उसे सरेंडर नहीं करने दिया. आज की तारीख में वही कांडे होनहागा पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ है. पुलिस ने उसके सिर पर पांच लाख का इनाम भी घोषित कर रखा है. अह कांडे होनहागा झारखंड-ओडिशा पुलिस के लिये सिरदर्द नहीं बना हुआ है. दिरीसुम उर्फ कांडे होनहागा नक्सल प्रभावित सारंडा जंगल के छोटानागरा थाना अन्तर्गत थोलकोबाद गांव के दुमांगदिरी टोला का निवासी है. इसके पिता का नाम स्व. सरगेया होनहागा है. सारंडा में वर्ष 2001 में नक्सलियों के पदार्पण के बाद वह वर्ष 2004-05 में नक्सलियों के सम्पर्क में आया था.
इसे भी पढ़ें : सेतुसमुद्रम जलमार्ग परियोजना पर द्रमुक-भाजपा में ठनी, संतों ने कहा, परियोजना सनातन धर्म के खिलाफ
थोलकोबाद नक्सलियों की थी राजधानी
कांडे होनहागा शुरू में नक्सलियों द्वारा थोलकोबाद आवासीय विद्यालय उड़ाने की घटना को अपनी आंखों से बैठकर देख रहा था. यह भी कहा जा सकता है कि यह उसका प्रारम्भिक प्रशिक्षण था, क्योंकि थोलकोबाद स्कूल कांडे होनहागा के घर से महज कुछ मीटर की दूरी पर था. बाद में वह 25 लाख रुपये का इनामी कुख्यात नक्सली लालचंद हेम्ब्रम उर्फ अनमोल उर्फ समर दा के दस्ते से जुड़ गया. तब सारंडा में नक्सलियों का आतंक चरम पर था और थोलकोबाद नक्सलियों की राजधानी हुआ करती थी. उस समय दस्ता के लोग विभिन्न गांवों में शरण लिये रहते थे. कांडे होनहागा भी अपने दुमांगदिरी गांव स्थित घर पर पत्नी व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ रहता था.
इसे भी पढ़ें : देवघर : 50 हजार का इनामी महिला नक्सली रेणु कोड़ा गिरफ्तार
कांडे अपनी पत्नी से नाराज होकर घर छोड़ दिया था
उस समय वह महुआ शराब का काफी सेवन करता था. नक्सली आक्रमकता की उसे कम समझ थी. घर पर रहने के दौरान नशे की हालत में कांडे का विवाद हमेशा उसकी पत्नी से हुआ करता था. प्रतिदिन के झगड़े से त्रस्त कांडे की पत्नी ने अनमोल दा से उसकी शिकायत कर दी. इसके बाद अनमोल ने कांडे को जमकर फटकार लगाई व शराब पीने पर प्रतिबंध लगा दिया. इस घटना से कांडे अपनी पत्नी से नाराज हो गया और घर छोड़ दिया. अंदर ही अंदर वह अनमोल व कुछ बडे़ नक्सलियों से नाराज होकर इधर-उधर रहने लगा. इसी दौरान सारंडा को नक्सलियों से मुक्त कराने के लिये पुलिस ने वर्ष 2011 में ऑपरेशन ऐनाकोंडा चलाया. लगभग एक माह तक चले इस ऑपरेशन के दौरान थोलकोबाद, जुम्बईबुरु, करमपदा में सीआरपीएफ कैंप स्थापित कर दिया गया. नक्सलियों की राजधानी थोलकोबाद एवं आसपास के स्थायी कैंप ध्वस्त कर दिये गये. नक्सली एक जगह रूक नहीं पा रहे थे.
इसे भी पढ़ें : चक्रधपुर : ग्रामीण क्षेत्र में हर्षोल्लास से मनाया गया मकर संक्रांति पर्व
कांडे पुलिस के डर से ओडिशा भाग गया
सारंडा में जहां-तहां छिप कर रह रहा कांडे होनहागा ने वर्ष 2013-14 में स्वयं को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने का निर्णय लिया. हालांकि वह डर रहा था कि कहीं पुलिस उसे पकड़ कर पीटेगी या जान से मार देगी. उसने अपने परिवार के करीबी एक व्यक्ति के माध्यम से आत्मसमर्पण के लिये प्रयास तेज किया. इसमें मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले एक व्यक्ति ने चाईबासा के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक से सम्पर्क कर कांडे होनहागा के आत्मसमर्पण करने संबंधी जानकारी दी और आत्मसमर्पण कराने का आग्रह किया.
इसे भी पढ़ें : ओडिशा : महिला क्रिकेटर राजश्री स्वैन का शव जंगल से बरामद, 11 जनवरी से थी लापता
कांडे होनहागा किसी भी कांड में नामजद नहीं था
उस पुलिस अधीक्षक ने सारंडा व पश्चिम सिंहभूम के विभिन्न थानों से कांडे होनहागा की नक्सली घटना से संबंधित एफआईआर में नाम की जानकारी ली, लेकिन वह किसी भी कांड में नामजद नहीं पाया गया. कारण यह कि उस समय उसके बारे में पुलिस को उसके नक्सली होने की कोई जानकारी नहीं थी. पुलिस अधीक्षक ने मध्यस्थ को बताया कि कांडे किसी भी घटना में नामजद नहीं है. उसके खिलाफ एक भी एफआईआर नहीं है. ऐसे में पुलिस उसे सरेंडर कैसे करा सकती है. पुलिस पर बड़ा सवाल उठ जायेगा. अंततः मध्यस्थ ने कांडे होनहागा के परिजन को आत्मसमर्पण की कोई संभावना नहीं होने की बात बताई. इसके बाद कांडे पुलिस के डर से ओडिशा भाग गया और वहां नाम बदलकर काम करने लगा. कुछ दिन बाद वह पुनः नक्सलियों के सम्पर्क में आया और संगठन में शामिल होकर सक्रिय भूमिका निभाने लगा. आज वह झारखंड-ओडिशा पुलिस खासकर चाईबासा पुलिस के लिये सबसे बड़ा सिरदर्द बना हुआ है.