Kiriburu (Shailesh Singh) : माइनिंग एरिया ट्रक ओनर एसोसिएशन बड़ाजामदा के अध्यक्ष अरविन्द कुमार चौरसिया के नेतृत्व में एसोसिएशन के पदाधिकारियों व वाहन मालिकों ने टीएसएलपीएल खदान प्रबंधन को विभिन्न मांगों से संबंधित मांग पत्र सौंपा है. मांगे पूरी नहीं होने पर आंदोलन की धमकी दी गई है. अरविन्द चौरसिया ने बताया कि हमारी मांगों में खदान से माल ढुलाई में शामिल ट्रकों की भाड़े में बढ़ोतरी, चिकित्सा सुविधा में छूट, गुवा रेलवे साइडिंग मार्ग की मरम्मती आदि शामिल है. उन्होंने कहा कि टीएसएलपीएल खदान प्रबंधन हमारे प्रमुख नियोक्ता है. उस हिसाब से हमारे वाहनों को 30 दिन का काम मिलना चाहिए. परंतु ऐसा नहीं हो पा रहा है. उन्होंने कहा कि एसोसिएशन ने टीएसएलपीएल खदान से जामदा साइडिंग- 270 प्रति टन, गुवा साइडिंग के लिये 290 रुपये प्रति टन, बोकना प्लॉट तक के लिये 170 रुपये प्रति टन भाड़ा देने की मांग की है. उपरोक्त दर पर अगर गाड़ियां चलेगी तो हम अपने वाहनों को चलाने में समर्थ हैं अन्यथा हम विवश है. उन्होंने कहा कि संगठन बार-बार यह मांग करता है कि जिस प्रकार से नोवामुंडी के स्थानीय लोगों को चिकित्सालय छुट दिया गया है, उसी तरह से यहां के स्थानीय लोगों को भी यह सुविधा प्रदान किया जाए.
इसे भी पढ़ें :आदित्यपुर : वार्ड 18 का रोड नंबर 13 बना नशेडिय़ों का अड्डा, थाना प्रभारी से लिखित शिकायत
प्रत्येक व्यक्ति इन वाहनों पर पूर्ण रूप से आश्रित
कंपनी प्रबंधन ने 15 वर्ष पुराने व्यवसायिक वाहन को वन क्षेत्र परिचालन के लिये अनुमति नहीं देगा . उन्होंने कहा कि हमारे वाहन आपके खदान के अन्दर कोई भी कार्य नहीं करते हैं. ये गाड़ियां सिर्फ खनिज परिवहन का कार्य करते हैं. इस क्षेत्र के लगभग प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी रूप से इन वाहनों पर ही पूर्ण रूप से आश्रित हैं. और इनके जीविका का मुख्य श्रोत यहीं वाहन है. अगर इस नियम को लागू किया जाता है तो यहाँ के लोगों के समक्ष घोर आर्थिक संकट उत्पन्न हो जायेगा और बेरोजगारी की विकराल समस्या उत्पन्न हो जायेगी. ऐसी स्थिति में कंपनी प्रबंधन रोजगार देने वाला बने, ना कि रोजगार ख़त्म करने वाला. अगर उक्त मांगों का समाधान नहीं होता है तो फिर बाध्य होकर वाहन मालिक उग्र आन्दोलन करने को विवश होंगे और फिर यह जन आन्दोलन का भी रूप ले सकता है. जिससे खदान के सभी कार्यों को अनिश्चित काल के लिए ठप कर दिया जायेगा.
इसे भी पढ़ें :चाईबासा: टाटा कॉलेज के बहुउद्देशीय भवन में कचरे के बीच परीक्षा देने को विद्यार्थी मजबूर