Kiriburu (Shailesh Singh): नक्सल प्रभावित सारंडा के सुदूरवर्ती मारंगपोंगा गांव में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. सरकार की कुछ विकास योजनाएं तो चालू हैं, लेकिन विभागीय अधिकारियों की निगरानी नहीं रहने व ठेकेदारों की अधिक कमाई की नीति की वजह से धरातल पर नहीं उतर पा रही हैं. मारंगपोंगा गांव के दो टोला में डीएमएफटी फंड से अलग-अलग जल मीनार का निर्माण पिछले छह माह से प्रारम्भ है. यह जल मीनार भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है. निर्माण से पूर्व ही इसका पिलर एक तरफ झुक गया है जो कभी भी गिर सकता है.
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जल मीनार का पिलर टेढा़ हो जाने से ठेकेदार ने आगे का काम रोका
ग्रामीण सुखराम बहंदा एवं महादेव बहंदा ने बताया कि शायद दोनों जल मीनार का पिलर टेढा़ हो जाने की वजह से ठेकेदार ने आगे का काम रोक दिया है. आगे अगर काम हुआ तो निश्चित ही टंकी व पानी का लोड पड़ते ही पिल्लर गिर जाएगा. ग्रामीणों ने कहा कि इस जल मीनार के नींव हेतु काफी कम गहरा गड्ढा खोदा गया है. मानक अनुसार पिलर की ढ़लाई में स्टील, सिमेंट-गिट्टी-बालू का मिश्रण नहीं दिया गया है. इस कार्य में लगे मजदूरों को मात्र 200 रुपये न्यूनतम मजदूरी दिया गया. जल मीनार किस योजना के तहत कितनी लागत से बन रहा है, इसका कोई बोर्ड तक नहीं है. ठेकेदार कौन है तथा कहां का है पता नहीं. एक मुंशी आता है और कुछ भी जानकारी नहीं देता है. इस योजना से ग्रामीणों को कब पानी मिलना प्रारंभ होगा पता नहीं है.
सोलर चालित जलापूर्ति योजना से नहीं दिया गया है कनेक्शन
दूसरी तरफ मारंगपोंगा को तोरोवाकोचा टोली में रांची के ठेकेदार डीके सिंह द्वारा सोलर चालित जलापूर्ति योजना का निर्माण किया गया है. इससे पानी तो आ रहा है लेकिन इस योजना के तहत इस टोली के 10 घरों को पाईप लाईन से पानी कनेक्शन उनके घरों को देना है. लेकिन यह कार्य भी पूर्ण नहीं हुआ है. इस कार्य में लगे मजदूरों को भी न्यूनतम मजदूरी 200 रुपये दिया गया. ऐसे क्षेत्रों में काम करने वाले ठेकेदार विभागीय अधिकारियों को नक्सलियों का भय दिखाकर कार्यस्थल पर जाने ही नहीं देते हैं.
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