Kiriburu (Shailesh Singh) : सारंडा जैसे रिजर्व वन क्षेत्र में सूर्यास्त के बाद भी देर रात तक खनिज संपदा की ढुलाई में लगी भारी वाहनों का निरंतर परिचालन गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है. जबकि ऐसे वाहनों का परिचालन सूर्यास्त से लेकर सूर्योदय तक रिजर्व वन क्षेत्र में पूरी तरह से प्रतिबंधित है. उल्लेखनीय है कि सारंडा के रास्ते खनिज व तमाम प्रकार की ढुलाई करने का एक हीं मार्ग है. वह बड़ाजामदा से बराईबुरु, छोटानागरा, मनोहरपुर मार्ग है. इस मार्ग पर निरंतर देर रात तक खनिज सम्पदाओं से लदा भारी वाहनों का परिचालन होते देखा जा सकता है. जबकि रात के समय ऐसे वाहनों का परिचालन को रोकने के लिए बराईबुरु और मनोहरपुर में वन विभाग का दो चेकनाका है. दो चेकनाका होने के बावजूद ये भारी वाहन सूर्यास्त के बाद सारंडा में कैसे परवेश कर जा रहे हैं, यह चिंता का विषय है.
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स्पंज आयरन से लोड वाहनों के चालक से की गई
बीते दिनों रात लगभग नौ बजे स्पंज आयरन से लोड भारी वाहनों को छोटानागरा थाना क्षेत्र की मुख्य सड़कों पर रोक कर गंगदा पंचायत के मुखिया राजू सांडिल, सारंडा पीढ़ के मानकी लागुड़ा देवगम ने पूछताछ किया. चालक ने बताया की उसे बराईबुरु स्थित वन विभाग की चेकनाका से छोड़ा गया. बड़ा सवाल यह है कि बराईबुरु चेकनाका पर तैनात वन विभाग के कर्मचारियों ने उक्त वाहन को चेकनाका से छोड़ते समय उसके कागजात पर मोहर लगाकर जो समय डाला था वह शाम लगभग पौने छः बजे का था. जहां उक्त लोगों ने ट्रक को रोका उसकी दूरी चेकनाका से लगभग 25 किलोमीटर है. क्या 25 किलोमीटर दूरी तय करने में ऐसे वाहनों को तीन-तीन घंटे लग जा रहे हैं. जबकि इस मार्ग पर कोई होटल आदि भी नहीं है, जहां वह खाना खाने के लिये रूके होंगे. फिर ऐसे वाहन कैसे देर रात सारंडा के घने जंगलों से गुजर रहे हैं. ग्रामीणों ने कहा कि अगर वन विभाग इस पर रोक लगाने में सक्षम नहीं है तो उन्हें हीं सड़क पर उतर इसे रोकने के लिये मजबूर होना होगा.
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वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत है दंडनीय अपराध
जानकार बताते हैं कि संरक्षित वन क्षेत्र में भारतीय वन अधिनियम 1927 के तहत वन विभाग के बिना अनुमति के किसी भी प्रकार का ट्रांसपोर्टिंग गैर कानूनी है, चाहे वह कोई वाहन हो या इंसान सभी को वन विभाग की अनुमति के बिना वन क्षेत्र में आने की मनाही है. सारंडा वन प्रमंडल वन्यजीव अभ्यारण्य क्षेत्र है और कई बार लोग वन विभाग से बिना अनुमति के ही वन क्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं, जो वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत दंडनीय अपराध है. ऐसे भी सूर्यास्त के बाद तथा सूर्योदय के पहले रिजर्व वन क्षेत्र में भारी वाहनों का परिचालन पूरी तरह से वर्जित है.
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