Saurav singh
Ranchi: गैंगस्टर अमन श्रीवास्तव की गिरफ्तारी के बाद से झारखंड में गैंगेस्टर्स राज को लेकर नई बहस छिड़ गई है. ऐसे में जानिए झारखंड के छह गैंगेस्टर की कहानी, जिनका दबदबा आज भी कायम है. इनमें से कुछ की तो हत्या हो चुकी है, लेकिन आज भी उनका गैंग चल रहा है.
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ये हैं वे गैंगस्टर
अखिलेश सिंह: अखिलेश सिंह के खिलाफ 56 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें उपेंद्र सिंह हत्याकांड, आर्म्स एक्ट, धोखाधड़ी, दस्तावेज की हेराफेरी, जयराम सिंह, आशीष डे, परमजीत सिंह हत्याकांड समेत अन्य मामले हैं. साकची जेल के जेलर उमाशंकर पांडेय की हत्या मामले में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. 2007 में उसे हाईकोर्ट से पेरोल मिला था. लेकिन इसके बाद वह समय पर अदालत में उपस्थित नहीं हुआ. दोबारा वह दिल्ली के नोएडा से 2011 में पकड़ा गया था. 2015 में उसे कुछ शर्तों के साथ झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिली थी. इस बीच सोनारी के अमित सिंह और उपेंद्र सिंह की हत्या का मामला दर्ज हुआ. जमशेदपुर की पुलिस ने उसे गुरुग्राम से अक्टूबर 2017 को पत्नी के साथ गिरफ्तार किया था. तब से अखिलेश सिंह दुमका जेल में बंद है.
अनिल शर्मा: पिछले तीन दशक से आतंक का पर्याय बन चुके गैंगस्टर अनिल शर्मा भोमा सिंह हत्याकांड में सजायाफ्ता है. वह पिछले दो साल से केंद्रीय कारा हजारीबाग में सजा काट रहा है. इससे पहले उसे दुमका जेल से भारी सुरक्षा में हजारीबाग लाया गया था. उसे हाई सिक्योरिटी में रखा जाता है. गैंगस्टर पर जेल में रहते आपराधिक घटनाओं को अपने गुर्गों द्वारा अंजाम दिए जाने का आरोप लगने पर दुमका केंद्रीय कारा से उसे 2021 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा हजारीबाग में स्थानांतरित किया गया था. अनिल शर्मा 23 साल से जेल की सजा काट रहा है. अनिल शर्मा के खिलाफ कई थानों में मामले दर्ज हैं. हत्या व रंगदारी समेत कई अपराध को लेकर इसके खिलाफ मामले दर्ज कराये गये थे. एक वक्त था, जब अपराध की दुनिया में अनिल शर्मा की तूती बोलती थी.
सुशील श्रीवास्तव: झारखंड में कोयला माफिया के तौर पर कुख्यात सुशील श्रीवास्तव का कई सालों तक इलाके पर प्रभुत्व रहा. सुशील श्रीवास्तव अपने आपराधिक कृत्यों के चलते कई सालों तक जेल में रहा था और लोग उसे ‘बाबा’ नाम से बुलाते थे. माना जाता है कि सुशील के बिहार और झारखंड के नेताओं से भी बड़े करीबी रिश्ते थे. सुशील अपने शुरुआती दौर में भोला पांडेय का करीबी था. थोड़े ही दिनों में उसने भोला पांडेय का साथ छोड़ दिया तो पांडेय से अदावत छिड़ गई. सुशील ने साल 2010 में भोला पांडेय की हत्या करा दी. भोला पांडेय की हत्या के बाद सुशील जेल से बाहर ही नहीं आया और अब वह जेल को ही सुरक्षित ठिकाना मानने लगा था. कुछ मामलों में पेशी के चलते 2 जून 2016 को सुशील श्रीवास्तव को जेल से हजारीबाग व्यवहार न्यायालय लाया गया. लेकिन कोर्ट परिसर में ही उसके ऊपर एके-47 से ताबड़तोड़ फायरिंग कर उसे मौत के घाट उतार दिया गया. इस फायरिंग में सुशील के अलावा 3 और लोगों की भी मौत हो गई थी.
भोला पांडेय: साल 2008 में रामगढ़ व रांची में अमरेंद्र तिवारी नाम के शूटर की तूती बोलती थी. अमरेंद्र तिवारी ने सुशील श्रीवास्तव से हाथ मिला लिया था. सुशील श्रीवास्तव जेल बंद था, लेकिन अमरेंद्र तिवारी जेल के बाहर. सुशील श्रीवास्तव हर हाल में भोला पांडेय व उसके गिरोह को खत्म करना चाहता था. उसने इसके लिए अमरेंद्र तिवारी से बात की. वर्ष 2009 में दुमका से रांची लाने के क्रम में एक लाइन होटल में जब पुलिसकर्मी और भोला पांडेय खाना खाने रुके थे, भोला पांडेय शौच करने लिए होटल के पीछे गया था. तभी अमरेंद्र तिवारी ने भोला पांडेय की हत्या कर दी थी. हालांकि भोला पांडेय की हत्या करने के बाद अमरेंद्र तिवारी ने पत्रकारों को फोन करके बताया था कि उसने अलग गिरोह बना लिया है.
किशोर पांडेय: किशोर पांडेय पतरातू बस्ती निवासी अपराधी भोला पांडेय का भतीजा था. किशोर के पिता कामेश्वर पांडेय रेलकर्मी हैं और छोटे पुत्र बबलू पांडेय के साथ पतरातू में रहते हैं. वह अपने चाचा से प्रभावित था व कम उम्र में ही अपराध करने लगा था. साल 2007 में उसने रामगढ़ जिला के सयाल निवासी मो. सकरुल्ला और खलारी में दो व्यवसायियों की हत्या कर दी थी. वर्ष 2009 में रांची के फाइनेंसर राजू धानुका की हत्या के बाद वह सुर्खियों में आया था.
शूटर के रूप में उसकी पहचान रही है. रांची जेल में बंद अपराधी सुशील श्रीवास्तव गिरोह से खुली अदावत थी. साल 2014 में किशोर की जमशेदपुर में हत्या कर दी गई. अब पांडेय गिरोह की कमान विकास तिवारी संभाल रहा है.
अमन श्रीवास्तव: सुशील श्रीवास्तव की हत्या के बाद धुर्वा में सुशील श्रीवास्तव को दफन किया जा रहा था. तब ताबड़तोड़ फायरिंग हुई. खून का बदला खून की तर्ज पर लेने की शपथ यहां अमन श्रीवास्तव ने ली. अमन, सुशील का बड़ा बेटा है. पढ़ा लिखा अमन गिरोह की कमान संभाल रहा है. उसके मददगार बने बोकारो जेल में बंद अमरेंद्र तिवारी और रामगढ़ का लखन साव. अमन के इशारे पर 26 अक्तूबर 2016 को किशोर पांडेय के बुजुर्ग पिता कामेश्वर पांडेय की हत्या पतरातू में कर दी गई. अपराध से दूर रहने वाले कामेश्वर पांडेय की हत्या के ठीक बाद एक शूटर को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था. हत्याकांड के बाद अमन श्रीवास्तव ने इस वारदात को अंजाम दिलवाने की बात खुद कबूली. जिसके बाद अमन श्रीवास्तव एक के बाद एक घटना को अंजाम दिलाकर राज्य के छह जिलों की पुलिस के लिए चुनौती बन गया था. बीते 15 मई को झारखंड एटीएस ने उसे मुंबई से गिरफ्तार कर लिया.
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