Nitesh Ojha
Ranchi : झारखंड कर्मचारी चयन आयोग नियुक्ति नियमावली – 2021 को रद्द कराने को लेकर हाईकोर्ट में 20 प्रार्थियों (पीटिशनर) ने अपील दायर किया था. उनमें से 9 प्रार्थी तो गैर झारखंडी थे. झारखंड हाईकोर्ट के निर्णय की कॉपी देखने से पता चलता है कि 9 प्राथी में से 8 उत्तर प्रदेश और 1 बिहार के थे. कुल 20 में 8 प्रार्थी ऐसे थे, जिनकी आयु सीमा भी इतनी नहीं है, कि वे जेएसएससी फॉर्म भरने की निर्धारित आयु सीमा के अंदर आते. अधिकांश की आयु सीमा 40 के पार हो गयी है.
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10वीं और 12वीं की बाध्यता हट भी जाए, तो भी नहीं कर पाएंगे प्रार्थी आवेदन
झारखंड हाईकोर्ट ने बीते दिनों नियुक्ति नियमावली – 2021 को निरस्त कर दिया था. नियमावली के खिलाफ उपरोक्त प्रार्थियों ने झारखंड से 10वीं और 12वीं की पढ़ाई करने की बाध्यता के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. अगर राज्य सरकार नियुक्ति नियमावली से यह बाध्यता हटा भी देती है, तो भी उपरोक्त अभ्यर्थी आयु सीमा की अर्हता के कारण जेएसएससी परीक्षा में आवेदन नहीं कर पाएंगे. गैर-झारखंडी होने के कारण ये सभी सामान्य वर्ग में आ जाएंगे. सामान्य वर्ग की आयु सीमा अधिकतम 35 साल निर्धारित है.
जानिये, किन प्रार्थियों की आयु सीमा हो चुकी है पार, कौन-कौन हैं राज्य के बाहर के
जेएसएससी नियुक्ति नियमावली – 2021 को लेकर जिन 20 प्रार्थी ने अपील दायर किया था, उसमें उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य के थे.
शंशाक शेखर – आयु 45, शेखपुरा (बिहार)
संतोष कुमार सिंह – आयु 45, मऊ (उत्तर प्रदेश)
हरे राम सिंह – आयु 44, देवरिया (उत्तर प्रदेश)
स्वतंत्र प्रकाश गौतम – आयु 42, कुशीनगर (उत्तर प्रदेश)
राम आधार सिंह – आयु 44, कुशीनगर (उत्तर प्रदेश)
रजनीश आनंद – आयु 42, बेगुसराय (बिहार)
चिंता हरण पाठक – आयु 39, बक्सर (बिहार)
योगेश नारायण सिंह – आयु 34, बलिया (उत्तर प्रदेश)
धर्मेंद्र कुमार सिंह – आयु 36, देवरिया (उत्तर प्रदेश)
झारखंड के वे दो प्रार्थी, जिन्होंने हाईकोर्ट में की थी शिकायत
रमेश हांसदा – आयु सीमा 44, सरायकेला-खरसावां (झारखंड)
अंजनी कुमार श्रीवास्तव – आयु सीमा 41, कोकर (रांची)
कोल्हान के आदिवासी नेता रमेश हांसदा भाजपा से जुड़े हुए हैं. रमेश हांसदा किसी समय में झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन के काफी करीबी थे. बाद में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ले ली. पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का भी उन्हें काफी करीबी माना जाता है.
सीएम ने भी कहा था कि शिकायत करने वाले अधिकांश गैर-झारखंडी
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का कहना है कि आदिवासी-मूलवासियों के हित में ही सरकार ने यह नियमावली बनायी थी. लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग एक साजिश के तहत झारखंडी हित की नीतियों को कोर्ट ले जाते हैं. साजिश के तहत जेएसएससी नियुक्ति नियमावली – 2021 को लेकर जिन लोगों ने शिकायत दर्ज की थी, उसमें अधिकांश गैर-झारखंडी थे.
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