कहां है गांव
कोडरमा जिला मुख्यालय – करीब 31 किमी दूर
रांची-पटना मुख्य मार्ग – 1.5 किमी दूर
कितने घर – 50 घर
आबादी – 250 (130 पुरुष व 120 महिला)
Kuntlesh Pandey
Koderma : शुद्ध जल – सबका अधिकार. पीने की पानी – हर घर पहुंचे. ऐसे सरकारी नारे, योजनाएं कई हैं. पर, क्या इसका लाभ हर तबके को मिल रहा है. नहीं. अगर मिलता तो कोडरमा मेघातरी पंचायत के करहरिया गांव के लोगों का यह हाल नहीं होता. यह गांव झारखंड-बिहार सीमा पर है और गांव में पीने का शुद्ध पानी नियमित रुप से उपलब्ध नहीं है.
इसे भी पढ़ें –मेडिका में इलाजरत नेशनल शूटर विभूति से मिले मंत्री बन्ना गुप्ता, कहा- इलाज का खर्च उठाएंगे
कुएं के पानी पीने से हुई बीमारी
गांव के लोग बताते हैं कि वर्षों पहले गांव में दो कुएं थे. उसकी पानी पीने से लोग बीमार हो जाते थे. सरकार ने गांव के एक-एक कर पांच चापाकल दिए. इसकी पानी में आयरन, आर्सेनिक, फ्लोराइड के अंश मिले. तब चापाकलों में फिल्टर लगाया गया. फिल्टर कुछ महीने ही चला. खराब हो गया. मरम्मति हुई नहीं. गांव के लोग फिर से खराब पानी ही पीने लगे. ग्रामीण जल आपूर्ति विभाग कुछ साल पहले नदी के किनारे इंटेक वेल लगाया. वर्ष 2017 में योजना के लिए राशि स्वीकृत हुई. करीब 5.50 करोड़ रुपये की लागत से वर्ष 2019 में इंटक वेल बन कर तैयार हुआ. लोगों के घरों तक पानी पहुंचा दिया गया. इस योजना के इस गांव और इसके आसपास के पांच हजार घरों तक पानी पहुंचाया जा रहा है. लेकिन विद्युत विभाग के लापरवाही के कारण नियमित आपूर्ति नहीं होती. बिजली नहीं मिलने से ट्यूबवेल चालू नहीं हो पाता और लोग दूषित जल पीने को मजबूर हो जाते हैं.
बीमारी जन्मजात नहीं
– जितेंद्र कुमार (35 वर्ष) ने बताया कि 6 साल की उम्र होने के बाद अचानक दर्द होने लगा और पैर टेढ़ा होना शुरू हो गया. कई तरह के इलाज के बाद भी ठीक नहीं हो पाया.
– बुधन सिंह (70 वर्षीय) का हाथ टेढ़ा हो गया है.
– ललिता देवी (65 वर्ष) ने बताया कि 12 साल उम्र के बाद मुझे दर्द होने लगा और मेरा पैर टेढ़ा होने लगा. उनके पास ना राशन कार्ड है ना ही विकलांगता प्रमाण पत्र.
– नीता कुमार (30 वर्षी) जब 10 साल की थी, तब उनका पैर डेढ़ा हो गया.
– मुन्नी कुमारी (15 वर्षी) के जन्म के 2 साल बाद बाया हाथ टेढ़ा हो गया.
– सुगनी देवी (67 वर्षी) की कमर में टेढ़ापन आ गया है.
– गांव के 32 लोगों (19 पुरुष व 13 महिला) को हाथ या पैर के टेढ़ेपन की बीमारी है.
इसे भी पढ़ें –रामगढ़ : आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम, केसीसी के लिए किसानों ने दिये आवेदन
इलाज मुश्किलः डॉक्टर राजीव कांत
ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉक्टर राजीव कांत पांडेय ने बताया कि यह ओस्टोजेनेसिस इम्परफेक्टा बीमारी है. यह जेनेटिक और वंशानुगत बीमारी है. दूषित पानी से संपर्क आने पर यह बीमारी और अधिक बढ़ता है. इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है. अच्छा खानपान और सर्जरी से कुछ सुधार हो सकते हैं.
हम अलर्ट हैंः सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ अनिल कुमार ने बताया कि पानी के कारण यह बीमारी हो रही है. उस इलाके के पानी में आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन की मात्रा है. हम वहां लगातार सरकारी सुविधाएं बढ़ा रहे हैं. एएनएम लोगों के संपर्क में रहती है. किसी को परेशानी होने पर तुरंत चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराया जा सके.
स्वच्छ पानी मिल रहा हैः बीडीओ
वहीं प्रखंड विकास पदाधिकारी रेशमा डुंगडुंग ने बताया ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत इंटेक वेल का निर्माण किया गया है. लोगों को स्वच्छ पानी मिल रहा है. अन्य सरकारी सुविधाओं जैसे राशन कार्ड, विधवा पेंशन, बृद्धा पेंशन सहित कई योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है.