Koderma: सरकारी बैंकों के निजीकरण के प्रस्ताव के खिलाफ दो दिवसीय बैंकों की हड़ताल आज से शुरू हो गई. नौ बैंक यूनियनों के संयुक्त मंच यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के आह्वान पर 15 व 16 मार्च को हड़ताल बुलाई गई है. हड़ताल के पहले दिन सोमवार को जिले के सभी बैंक में ताला लटका रहा. बंद के समर्थन में यूएफबीयू के बैनर तले बैंक कर्मचारियों व अधिकारियों के साथ सीटू कार्यकर्ताओं ने झंडा चौक स्थित बैंक ऑफ इंडिया के शाखा से जुलूस निकाला. जो झंडा चौक, पूर्णिमा टॉकीज होते हुए निजी बैंक आईडीबीआई और आईसीआईसीआई बैंक में नारेबाजी करते हुए बैंक को बंद कराया.
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निजीकरण के विरोध में बैंकों की हड़ताल
जुलूस में निजीकरण पर रोक लगाओ, सरकारी संपत्ति को बेचना बंद करो, केंद्र सरकार मुर्दाबाद, मोदी सरकार होश में आओ आदि नारे लगाए जा रहे थे. बाद में बीओआई के समक्ष कर्मचारी धरना पर बैठ गए. बैंक अधिकारी संघ के बीजू राम की अध्यक्षता में हुई सभा को संबोधित करते हुए सीटू राज्य कमिटी सदस्य संजय पासवान ने कहा कि, यह हड़ताल केंद्र की मोदी सरकार द्वारा बैंकों के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारी मजबूर हुए हैं. सीटू नेता ने कहा कि पिछले चार सालों में मोदी सरकार के द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के 14 बैंकों का विलय या निजीकरण किया जा चुका है. और अब बीओआई सहित चार बैंकों को भी बेचने की तैयारी हो चुकी है.
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‘बैंकों को पूंजीपतियों के हाथ सौंपने की तैयारी’
1969 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था. जिसके तहत अधिकांश बैंकिंग परिसंपत्तियाँ सरकार के नियंत्रण में आ गईं थीं. सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण से केवल कर्मचारी ही नहीं बल्कि आम लोग और खाता धारक प्रभावित होंगे. मजदूर कर्मचारी समन्वय समिति के जिला सचिव दिनेश रविदास ने कहा कि, निजीकरण के रास्ते सरकारी नौकरी को समाप्त किया जा रहा है. और बेरोजगार युवाओं के सपनों को कुचला जा रहा है. बैंक फोरम यूनियन के बीजू राम और शिवशंकर वर्णवाल ने कहा कि, केन्द्र सरकार निजीकरण कर बैंकों को पूंजीपतियों के हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है. लेकिन सरकार की इस साजिश को सफल होने नहीं दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि, अटल पेंशन योजना, मनरेगा, आधार कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड, बीमा आदि योजनाएं केवल राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्मचारियों की दक्षता की वजह से ही सफल हो पाई है. वहीं नोटबंदी व कोरोना में रात दिन कर्मियों ने सेवा दिया जिसे भुलाया नहीं जा सकता है.
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आंदोलन में मनीष कुमार, प्रशांत कुमार, मीरतंद्र कुमार, सन्नी कुमार, रामरतन प्रसाद, नितेश कुमार, अरुण कुमार राम, मानस कुमार, महेश कुमार, चंचल कुमारी, प्रेरणा कुमारी, विनीता कुमारी, सीमा कुमारी, अजीत कुमार, शिव कुमार पासवान, खूबीलाल पासवान आदि बैंक कर्मचारी और पदाधिकारी के अलावा आंगनबाड़ी संघ की प्रदेश अध्यक्ष मीरा देवी, वर्षा रानी, दीपा कुमारी, संध्या वर्णवाल शामिल थे.
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