Koderma : झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से पारा शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की कराई जा रही जांच में अब तक जिले में 8 पारा शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं. वहीं 2 शिक्षकों ने त्यागपत्र दे दिया है. इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला शिक्षा अधीक्षक नयन कुमार ने बताया कि जिले में कुल 1,674 पारा शिक्षक (सहायक अध्यापक) कार्यरत हैं. इनके सर्टिफिकेट जमा कर जांच के लिए झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद को भेजा गया है. अब तक लगभग 1000 पारा शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच की गई है, जिसमें 8 पारा शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं.
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सर्टिफिकेट की जांच जारी
जिन शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए है उनमें अधिकांश का सर्टिफिकेट मैट्रिक व इंटर का है. उन्होंने बताया कि शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच के क्रम में उनके मैट्रिक, इंटर व स्नातक के अलावा शिक्षक पात्रता परीक्षा के प्रमाण पत्रों की जांच की जा रही है. उन्होंने बताया कि स्नातक पास पारा शिक्षकों के सर्टिफिकेट जांच के लिए संबंधित यूनिवर्सिटी को भेजा गया है. इसके अलावा शिक्षक प्रशिक्षण एवं पात्रता के सर्टिफिकेट की जांच इग्नू के अलावा एनआईओएस को भेजी गई है. उन्होंने बताया कि कुछ शिक्षकों के मैट्रिक प्रमाण पत्र की जांच टेबुलेटिंग रिपोर्ट के आधार पर की जानी है. इसकी भी जांच की प्रक्रिया जारी है.
पारा शिक्षकों के लिए ये सर्टिफिकेट जरूरी
उल्लेखनीय है कि जिले में लगभग 20 सालों से पारा शिक्षक प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में कार्यरत हैं. इन में प्राथमिक विद्यालयों में पारा शिक्षकों की बहाली इंटर के आधार पर की गई थी. साथ ही इसके लिए शिक्षक प्रशिक्षण एवं टेट पास की अनिवार्यता रखी गई थी. वहीं मध्य विद्यालय में इनकी बहाली स्नातक पास के आधार पर की गई थी. साथ ही इसके लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा एवं शिक्षक प्रशिक्षण की डिग्री अनिवार्य थी.
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15 शिक्षकों ने जांच के लिए नहीं जमा कराये प्रमाण पत्र
पारा शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच के लिए 5 दिसंबर तक सर्टिफिकेट जमा करने का समय सीमा निर्धारित किया गया था. सोमवार को निर्धारित अवधि बीत जाने के बाद भी जिले में लगभग 15 शिक्षकों ने अपना प्रमाण पत्र जांच के लिए जमा नहीं कराए हैं. यह माना जा रहा है कि जिन शिक्षकों ने अपना सर्टिफिकेट जमा नहीं किया है, उनके प्रमाण पत्र सही नहीं है. ऐसे में यह भी सवाल उठता है कि इस तरह के प्रमाण पत्र के आधार पर आखिरकार यह शिक्षक पिछले 20 वर्षों से विद्यालयों में कैसे कार्यरत थे.
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