Arun burnwal /Sandhya Anchal
Koderma : भाजपा कोडरमा नगर अध्यक्ष नरेंद्र पाल ने उपायुक्त कोडरमा को पत्र लिखकर मांग की है कि बाल कल्याण समिति में सदस्य के पद पर कार्यरत पंकज कुमार द्वारा फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र दिखाकर नियुक्ति ली गई. साथ ही इनका व्यवहार अनैतिक है और वो कार्यालय में नशे में रहते हैं. प्राय: वह सोए रहते हैं. साथ ही बाल कल्याण समिति के अन्य सदस्यों के साथ खराब व्यवहार करते हैं. भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि इनके अनैतिक कार्यों में जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी का सहयोग प्राप्त है. आपको बता दें कि बाल संरक्षण आयोग की सदस्य आभा वीरेंद्र द्वारा पूर्व उपायुक्त को सारी स्थिति से अवगत कराते हुए कार्रवाई के लिए आग्रह किया था. उन्होंने लिखा है कि बल कल्याण समिति के सदस्य पंकज कुमार बाल हित की जवाबदेही से परे अपने आप में खोए रहते हैं. अतः इन पर उचित कार्रवाई की जाय.
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7 साल का अनुभव होना जरूरी
बता दें कि बाल कल्याण समिति में वैसे सदस्यों का चुनाव होता है जिसे बाल हित में कार्य करने का 7 साल का अनुभव प्राप्त होना चाहिए. इस चुनाव के लिए पंकज कुमार ने वीर झारखंड विकास सेवा मंच एनजीओ द्वारा एक अनुभव प्रमाण पत्र संलग्न किया है. इसमें पंकज कुमार ने दिखाया है कि वह जून 2005 से 2016 तक इस एनजीओ के द्वारा बालहित में काम कर चुके हैं. इस संबंध में वीर झारखंड विकास सेवा मंच के सचिव भोला प्रसाद यादव से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि पंकज कुमार का पूर्व में या अभी संस्था से किसी भी तरह का संबंध नहीं है. यह पूछे जाने पर कि उनका प्रमाण पत्र आपका लेटर हेड में बना है तो उन्होंने बताया कि हमारी संस्था द्वारा उन्हें किसी भी तरह का अनुभव प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है.
अनुभव प्रमाण पत्र जाली समझा जाय : भोला प्रसाद यादव
अगर उन्होंने किसी सरकारी या गैर सरकारी विभागों में मेरी संस्था का अनुभव प्रमाण पत्र समर्पित किया है तो फर्जी व जाली समझा जाए. वीर झारखंड विकास सेवा मंच के सचिव भोला प्रसाद यादव ने कोडरमा उपायुक्त एवं जिला समाज कल्याण पदाधिकारी को एक पत्र लिखकर कहा है कि वर्ष 2014 में जिला समाज कल्याण पदाधिकारी कोडरमा के कार्यालय में हमारी संस्था द्वारा अनाथ आश्रम हेतु प्रोजेक्ट जमा किया था. उसी क्रम में जिला समाज कल्याण पदाधिकारी कोडरमा द्वारा नरेंद्र कुमार सिंह जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी को हमारे संस्था को जांच करने का आदेश दिया गया और नरेंद्र कुमार सिंह के द्वारा हमारी संस्था दूधीमाटी कोडरमा के कार्यालय में आए और जांच की. उसी समय मुझसे बातचीत के दौरान कहा कि आप इतने दिनों से संस्था चला रहे हैं, परंतु सरकारी योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं. मैं आपकी मदद करने को तैयार हूं. उनके सरकारी पद पर कार्यरत होने की वजह से मैं उनपर विश्वास कर लिया और उनके कहने के अनुसार अपनी संस्था के आवश्यक कागजात की छायाप्रति, चार पांच पन्ने लेटर पैड का मूल प्रति, सादा पेपर, हस्ताक्षर करके और मुहर के साथ उनको सुपुर्द कर दिया. कुछ महीनो बाद उनसे अपने कार्य के लिए संपर्क किया तो उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही आपका काम हो जाएगा. मैं इस संदर्भ में जब भी उनसे बात करने की कोशिश करता तो वह मामले को टालते रहते थे. धीरे-धीरे मैंने इस बात पर ध्यान देना कम कर दिया.
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संस्था के लैटर पैड का गलत इस्तेमाल का आरोप
वीर झारखंड विकास सेवा मंच के सचिव भोला प्रसाद यादव ने कहा कि वर्तमान में मुझे पता चला कि बाल कल्याण समिति के वर्तमान सदस्य पंकज कुमार ने हमारे संस्था के लेटर पैड पर अपने अनुभव प्रमाण पत्र का उपयोग किया है जो नरेंद्र कुमार सिंह द्वारा पूर्व में हमसे लेटर पैड लिया गया था, इस लेटर पैड का दुरुपयोग करते हुए पंकज कुमार का फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र बना दिया गया है, जो कि सरासर गलत है. उसके बाद झारखंड विकास सेवा मंच के सचिव भोला प्रसाद यादव ने एक संस्था के लेटर पैड पर एक घोषणा पत्र जारी कर संबंधित पदाधिकारी को अवगत कराया कि मेरी संस्था द्वारा किसी भी पंकज कुमार को अनुभव प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है, और ना ही कभी वह मेरे संस्था के फुल टाइम या पार्ट टाइम सदस्य या कार्यकर्ता रहे हैं. घोषणापत्र जारी करने के बाद नरेंद्र कुमार सिंह, पंकज कुमार के साथ मेरे कार्यालय में आए और मुझसे कहा कि पंकज कुमार आपके पुत्र के समान हैं. इस पर कृपा दृष्टि बनायें. इसके बाद मैंने इस बात के लिए उन्हें सीधा मना कर दिया और कहा कि जिस तरह के बच्चों के क्षेत्र में आप पंकज कुमार को अनुभव प्रमाण पत्र दिए हैं उसे क्षेत्र में हमारी संस्था काम नहीं की है. इसलिए मैं गलत नहीं कर सकता हूं. इसके बाद में नरेंद्र कुमार सिंह से अपने कागजात और हस्ताक्षर मुहर लगा लेटर पैड की मांग की. तो उस बात को वह टाल-मटोल कर दिया और अब वह फोन भी नहीं उठाते हैं. कुछ समय बाद मुझे पता चला कि नरेंद्र कुमार सिंह जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी कोडरमा के पंकज कुमार बल कल्याण समिति के पुराने हितेषी हैं और पूर्व में भी पैरवी से उन्हें बालगृह कोडरमा में नौकरी मिली थी और इस बार भी मेरी संस्था का लेटर पैड का अनुचित उपयोग कर उसे बाल कल्याण समिति कोडरमा के सदस्य बनने में पूरा-पूरा सहयोग किया.
सरकारी राशि के दुरूपयोग का आरोप
ज्ञात रहे कि बाल कल्याण समिति के सदस्यों के लिए प्रति बैठक सरकार द्वारा ₹2000 देय होता है. इसमें यह भी शर्त है कि समिति द्वारा महीने भर में कम से कम 20 बैठक करना अनिवार्य है. ऐसे में प्रति सदस्य कम से कम ₹40000 प्राप्त करते हैं. गलत सदस्य के चयन से बालहित तो प्रभावित होता ही है साथ ही सरकारी फंड का दुरुपयोग भी होता है. बाल कल्याण पदाधिकारी नरेंद्र कुमार सिंह पर पंकज कुमार को सहयोग देने का आरोप पहले भी लगते रहे हैं. वर्ष 2018 में बालगृह के सुपरिटेंडेंट ने जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी को आवेदन देकर कहा था कि बाल गृह में कार्यरत परिवीक्षा पदाधिकारी पंकज कुमार को जब अधीक्षक द्वारा उनके अपने कार्य से अवगत कराया जाता है तो वह हमेशा अधीक्षक को ही कार्य के बारे में बताने लगते हैं.
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पंकज कुमार पर काम में लापरवाही का आरोप
साथ ही उन्होंने पंकज कुमार के कार्यालय समय पर नहीं आने की बात को भी बताते हैं. उन्होंने आवेदन में यह भी बताया है कि जब भी उनको काम करने के लिए कहा जात है तो वह अधीक्षक के साथ बदतमीजी से पेश आते हैं. जब रजिस्टर को मेन्टेन करने को कहा जाता है तो वो नहीं करते. पंकज कुमार पर आरोप है कि वह दो तीन दिन कार्यालय में गाजा पीकर भी आये. इसके अलावा शराब पीकर भी रात में आकर बच्चों के साथ मारपीट करते हैं. जब अधीक्षक कहते हैं तो कार्रवाई की धमकी दी जाती है. पंकज कुमार धमकी देते हैं कि डीसीपीओ नरेन्द्र सिंह को हम पॉकेट में रखते हैं. 20,000 रुपये रिश्वत दिए हैं तभी हम बाल गृह में हैं. और LPO दिनेस पाल को भी 2,000 रूपये रिश्वत हर महीने देते हैं. उनका कहना है कि आप मेरा क्या कर लीजिएगा. पहले हम DCPO के है उसके बाद बाल गृह के.
पूर्व डीडीसी लोकेश मिश्रा ने बाल कल्याण पदाधिकारी नरेंद्र सिंह का 2 महीना वेतन रोकने का दिया था आदेश
मिली जानकारी के अनुसार पूर्व उप विकास आयुक्त लोकेश मिश्रा के द्वारा जिला बाल कल्याण पदाधिकारी नरेंद्र कुमार सिंह को कार्य में लापरवाही और अनियमितता पर संविदा रद्द करने एवं दो महीने का वेतन रोकने का आदेश जारी किया गया था लेकिन उप विकास आयुक्त लोकेश मिश्रा का ट्रांसफर होने के बाद नरेंद्र कुमार सिंह आज भी अपने पद पर बने हुए हैं.