Koderma: बुढ़ापा जीवन का अंतिम पड़ाव है. इस पड़ाव में कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है और दुसरों पर निर्भरता बढ़ जाती है. यही निर्भरता वृद्धों के लिए समस्याओं का कारण है. आज की युवा पीढ़ी यह भूल जाती है कि कल यही अवस्था खुद की होने वाली है. आए दिन सोशल मीडिया पर मां-बाप को लेकर कई तरह की बातें और वीडियो देखने को मिलते हैं. जबकि हकीकत इससे इतर है.
ऐसा ही एक मामला बुजुर्ग से जुड़ा है. दरअसल गिरिडीह निवासी नोखलाल साव को बेटी, दामाद और नाती ने बोझ समझकर मुंबई ले जाकर सिद्धि विनायक मंदिर के पास अकेला छोड़ दिया. उन्हें छोड़कर सभी वापस आ गए. बुजुर्ग की किस्मत अच्छी थी कि वहां मंदिर में एक मीडियाकर्मी शिखा वर्मा व अभिनेता नीरज सिंह राजपूत की नजर उनपर पड़ी.
उन्होंने उनका हाल-चाल लिया और उसे अपने घर ले आए. वे लोग इन्हें सुरक्षित घर भेजने की कोशिश में लग गये. पहले उन्होंने बुजुर्ग के साथ एक मार्मिक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाला. कुछ ही दिन में वायरल हो गया. इस वीडियो में झारखंड व कोडरमा जंक्शन का जिक्र था. सोशल मीडिया के दूसरे प्लेटफार्म गूगल के माध्यम से दोनों ने कोडरमा के एनजीओ की तलाश की और ‘समर्पण’ एनजीओ से संपर्क स्थापित कर सारा वाक्या साझा किया.
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समर्पण के सचिव इंद्रमणि साहू से बात होने के बाद उन लोगों ने उन्हें टिकट देकर कोडरमा भेज दिया. यहां समर्पण की टीम रात्रि करीब तीन बजे स्टेशन जाकर उन्हें अपने संरक्षण में लिया. फिर उन्हें अपने वाहन से उनके घर तक सकुशल पहुंचाया. इस संबंध में संस्था की ओर से हीरोडीह थाना में एक सनहा भी दर्ज कराया गया है. इस कार्य के लिए लोगों ने समर्पण के मनीष कुमार लहरी, दीपक कुमार राणा, सन्नी कुमार व इंद्रमणि साहू को बधाई दी.
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बताया जाता है कि बुजुर्ग को तीन बेटा व तीन बेटियां हैं. कुछ जमीन अपनी बेटी के नाम कर देने की वजह से तीनों बेटा से उनकी अनबन हो गयी थी. वे अपनी पत्नी के साथ गिरिडीह में किराये के मकान में बेटी व दामाद के पास रह रहे थे. इसी बीच इसी बेटी व दामाद ने उन्हें मुंबई पहुंचाया और एक कागजात पर हस्ताक्षर करवाकर कहा कि आपको अब पांच हजार रुपये पेंशन मिलेगी. फिर झांसा देकर बुजुर्ग को वहीं छोड़कर वापस आ गए.
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